अब कभी भी अपनी माँ से नहीं रूठेंगे ..कभी नहीं कहेंगे कि मम्मी आज टिफिन में मैगी रख देना प्लीज .....कभी ज़िद नहीं करेंगे टीवी पर अपना मनपसंद कार्टून चैनल देखने की...
नहीं... कभी नहीं !!
अब कभी पापा से नहीं कहेंगे कि शाम को घर आते वक्त चॉकलेट लेते आना या आज हमें घुमाने ले चलना...!!
कुछ भी नहीं कहेंगे.. कह भी कैसे सकते हैं...! इन मासूमों को तो हैवानों ने अगवा करके न जाने कहाँ- कैसे रखा..
फिर भी छोड़ने के बजाए , फिरौती लेने के बाद भी जंज़ीरों से बांध कर यमुना में जल समाधि दे दी...😭😭

इन जुड़वां भाइयों के माँ बाप पर क्या बीत रही होगी यह सोच, समझ पाना भी मुश्किल है...!
जिन दोनों को माँ ने नौ महीने पेट में रखा... एक साथ छाती से लगाकर दूध पिलाया उसने कैसे देखा होगा अपने ज़िगर के टुकड़ों को इस तरह बेजान बद्तर हाल में...!

क्या कर रही थी हमारी पुलिस 14 दिन...????

बेपरवाही ने दो मासूमों को दुनिया देखने से पहले ही दुनिया से इस नृशंशता से विदा करवा दिया है।

इन मासूमों की जान बचाई जा सकती थी..वक्त रहते मुल्जिमों को पकड़ा जा सकता था😡😡...
एक माँ की गोद सूनी होने से बचाया जा सकता था...लेकिन इसके लिए जनता के प्रति सतर्कता की जरूरत है।

मुल्ज़िम कौन हैं ??? यह सवाल हम आप के लिए तब तक जरूरी नहीं होता जब तक वह मुल्ज़िम हमसे जुड़े नहीं होते। अख़बार का पन्ना पलटने भर की देरी से हम अपनी दूसरी दुनिया मे व्यस्त हो जाते हैं।
सच सिर्फ इतना है सरकार और खाकी वर्दी वाले महकमे की अलाली ने ही दो मासूम हमसे नहीं छीन लिए

आईना देखिये, और एक बार खुद को भी कटघरे में खड़ा कीजिये । अब हम में उन संस्कारों की कमी लगातर बढ़ रही है जिसने सिर्फ पैसों को ही जीवन का आधार बना कर मानवता को खत्म कर दिया है। हम सिर्फ अपने ही  फायदे को ही जीवन समझते हैं।

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