हरी इच्छा प्रबल....🙏


हरी इच्छा प्रबल..........!
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सब उसकी ही मर्जी होती है ,
       फिर भी हम उम्मीदें करतें हैं। 
सब कुछ बस मनमाफिक हो ,
       ऐसा ही दम भरते रहते हैं। 
किस्मत का लेखा ज्ञात नहीं ,
       जो होता है , वह  जीते हैं। 
अपने चाक दामन की गिरहें ,
      उसकी चौखट पर सीते  हैं। 
जब मान लिया कि वह सब है ,
       तो क्यों किस्मत से लड़ते हो? 
जीवन की सच्चाई स्वीकार करो ,
      व्यर्थ उलझनों में क्यों पड़ते हो?
वह जाने है ,क्या अच्छा है ,
       जो देगा उसमें भला ही है। 
 सहर्ष करो स्वीकार तुम ,
       विश्वास हमेशा फला ही है। 
ईश्वर के हम सब बच्चे हैं ,
      उसकी निगाह में रहते हैं। 
जब भी दुःख आवे जीवन में ,
       सोचो उसकी नेमत सहते हैं। 
जग जीत लिया गर विश्वास जमा ,
       सब तेरी ओर  झुक जाएगा। 
जीवन के रस्तों पर दुःख भी ,
       कुछ अच्छा ही ले कर आएगा। 

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