लोगो से जुड़े ग्राहक के भाव !!
कंपनी के लोगो से जुड़े ग्राहक के भाव....!!
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ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां अपने ग्राहकों को तमान तरह से विज्ञापनों के जरिये आकर्षित कर के अपने उत्पादों को बेचती हैं । उनकी साख़ उत्पादों की क्वालिटी और ग्राहक की संतुष्टि से बनती है । उसका लोगो कैसा हो , और उसकी आकर्षित करने की क्षमता किस हद तक है ये कंपनी का निर्णय है। Myntra एक ऐसी ही कंपनी है जो बहुत तरह के उत्पादों का व्यापार करती है। उसकी ग्राहक संख्या में महिलाओं का प्रतिशत ज्यादा है।
अभी हाल ही में Myntra के लोगो पर एक महिला ने केस किया कि उसकी आकृति महिला के अंतरंग अंग समान हो कर उसके सम्मान को ठेस पहुंचाती है। इसे बच्चों की पत्रिकाओं में छपने वाले उस puzzle की तरह देखना चाहिए जिसमें एक आकृति के अंदर दूसरी आकृति देखने का टास्क दिया जाता है। पहले पहल शायद ये समझ नहीं आती पर जब उसे दिखा दिया जाता है। तब उसकी छवि clear हो जाती है और वह समझ आने लगती है। यही इस लोगो के साथ हुआ । अब तक कैरोड़ो लोग इसे देखते होंगे । कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा पर अब जब कुछ दिखा दिया गया तो वह सब कुछ देखा जाना और समझना ही था जिससे अब तक अनजान थे । और शायद महसूस भी नहीं कर रहे थे।
अभी कुछ दिनों पहले तनिष्क भी ऐसे ही एक विज्ञापन के विवाद में फंसा था। इस लिए Myntra ने बिना कोई हील हुज्जत किया तुरंत ही अपने लोगों को इस तरह बदल दिया कि ज्यादा फ़र्क़ भी ना आये और अपनी साख भी बनी रहे। पर इन सब मसले में ये कहना तो बनता है कि आजकल हम सभी की भावनाएं इतनी नाजुक और संवेदनशील क्यों होती जा रही कि जरा जरा सी बात पर आहत हो जाती है ? ? ?
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