हिम्मत , चाह और जज्बा
हिम्मत,चाह और जज्बा....!!••••••••••••••••••••••••••••
जीवन में सब कुछ आसान सा है। हर स्थिति संभाली जा सकती है । हर व्यवस्था की जा सकती है। अपने को सुव्यवस्थित ढंग से चलाया भी जा सकता है। पर इन सबके बीच जो सबसे बड़ी चीज आड़े आती है वो है मैं या मेरे पास........अर्थात मैं ये नहीं कर पा रहा या रही , मैं इतना या इतनी सामर्थ्यवान नहीं , मैं ये कैसे करूँगा या करूँगी...आदि आदि।
दूसरा मुख्य मुद्दा है "मेरे पास" अर्थात मेरे पास समय नहीं , मेरे पास इतना सामर्थ्य नहीं , मेरे पास इतनी शक्ति नहीं वगैरह वगैरह ....कभी कभी ये भी सत्य हो सकता है कि हम वह करना ही नहीं चाहते शायद इसीलिए मैं या मेरे पास जैसे शब्दों का सहारा लेकर अपनी असमर्थता जाहिर कर देते हैं।
लेकिन क्या कभी ये सोचा है कि प्रयास ही मेरे पास का उपयुक्त उदाहरण है। हम अमूमन दूसरों की तुलना में तो खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। पर खुद से खुद की तुलना करनी हो तो क्यों हम अपनी काबिलियत को छोटा करने लगते हैं। कि कर नहीं सकते समय नहीं सामर्थ्य नहीं वगैरह वगैरह... इसलिए सिर्फ हिम्मत चाह और प्रयास का जज्बा ही हर कार्य की सफलता का प्रतिशत तय करता है।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
Comments
Post a Comment