अमृत वेला का महत्व (Impotance of Amrit vela) part1

 अमृत वेला का महत्व :        •••••••••••••••••••••.               

सुबह भोर की नींद सबसे गहरी और अच्छी होती है। उस समय सभी सोना पसन्द करते हैं। पर दूसरे दृष्टिकोण से वह परमात्मा से connect होने के लिए सर्वोत्तम समय होता है। इस लिए उसे अमृत वेला कहते हैं। अमृतवेला अर्थात सुबह 3.30 से 5.30 तक का समय। ये दो घन्टे हमें प्रभु से सीधे connect करवाते हैं।                                           कुछ समय पहले तक मैं भी इन सभी बातों को बहुत हल्के में लेती थी। पर अनुभव करने के बाद ये महसूस हुआ कि जिसे मैं "कुछ नहीं" के तौर पर समझ रही रही वही तो जीवन का "सब कुछ" है। अमृत वेला का यह समय अपने मन की affirmations को प्रभु को सुनाने का समय होता है। उसे हर उस चीज़ के लिए thank u कहने का समय होता है जो उसने हमें बक्शी हैं। universe को उसकी तमाम देन के लिए आभारी होने का समय होता है। Nature का धन्यवाद करने का समय होता है। यदि ये सब हम कर लेते हैं तो हमारी सोच ,हमारा जीवन और हमारी शरीर सब बदल जाता है।                                             Greatful होना हमेशा नम्रता दिखाता है। इसलिए जीवन में हर देन के लिए देने वाले का आभारी होना चाहिए। अब इसका अमृत वेला से क्या connection शायद यह विचार ज़रूर आएगा मन में.....तो उत्तर ये है कि दिन में भीड़ भरे रास्तों में जब निकलो तब एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में लंबा समय लग जाता है। परंतु यही रात को सुनसान में जाएं तो जल्दी पहुंच जाएंगे। उसी तरह ये अमृत वेला का समय universe अधिकांश लोगों के सोए हुए होने की वजह से विचारों की waves से खाली होता है। प्रकृति शांत पवित्र रहती है सूर्य देव नरम उजालों के साथ निकलने की तैयारी में होते है। हवा शुद्ध होती है। ऐसे में परमात्मा से की गई बातें उन तक आसानी से पहुंच जाती हैं। ये आजमाया हुआ नुस्खा है। प्रभु सुनते है और इच्छाओं की पूर्ति के लिए माहौल खुद ब खुद बनता है। बस विश्वास दृढ़ होना चाहिए। क्योंकि वही वो जमीन है जिस पर खड़े होकर हम अपनी सारी affermations fullfil होने की request कर रहे हैं।                                                                   घर का कोई ऐसा स्थान जहाँ थोड़ी खुलापन हो। आसन लगाकर बैठा जाए। कुछ देर ॐ chanting सुन कर मन को शुद्ध किया जाए। बाकी ध्वनियों से distract किया जाए। जब मन भक्ति को महसूस करने लगे तो फिर अपनी सारी इच्छाएं , affermations और ओबलीगेशन सब प्रभु से कहना शुरू की जाए। सिर्फ एक माह नियमित करके यदि देखा जाए तो drastic change आएगा। सोच pure होने लगेगी। क्रोध कम होने लगेगा। क्योंकि अब हम कमियों को देख कर नहीं कुढ़ रहे। जो हैं उसके लिए thankfull हैं। यही अमृतवेला का सत्य है। जिसे मैनें समझा और अपनाया और व्यवहार और जीवन में अंतर पाया। 

क्रमशः दूसरे भाग में जारी..........

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