उम्मीदों की उड़ान
उम्मीदों की उड़ान : ••••••••••••••••••
काश.... कि आज कुछ ऐसा हो जाए,
ये लम्हा कुछ घड़ी यूँ ही यहीं थम जाए।
बस एक बार जो थोड़ी मोहलत मिले
तो पुनः पीछे मुड़कर हाँसिल हुई तमाम
मिल्कियत की क़ीमत परखी जाए...!!
यूँ ही नहीं मिल जाती है परिन्दों को
उड़ान से आसमाँ नापने की आज़ादी
पहले प्रतिकूल हवाओं से लड़ने की
उनकी तरबियत तो परखी जाए...!!
बहुत कुछ है जो इस मुट्ठी में बन्द है
तो चलो, उसकी मौजूदगी की वजह में
उंगलियों-हथेली दोनों को गिना जाए ।
अब एक राह बनायेगें हम सब मिलकर
जिस पर पूर्व सफलताओं के पदचिह्न
हमें आगे बढ़ने को निरंतर उकसायेंगे,
भीड़ में निशान धुंधला ना जायें तो उनकी
प्रतिकृति अपने जेहन पर भी बनाई जाए।
जिन लकीरों ने प्रतीकों का निर्माण किया हो
उनको मिटाने की कोशिश नाकाम है क्यूंकि,
उनकी छाप मिटाने को रबड़ कहाँ से लाया जाए।
जज़्बे तब तक नहीं मरते जब तक बेहतरी की
आस और प्यास अपने अन्दर जिन्दा है...!!
विपरीत परिस्थिति में हौसलों की उन्मुक्तता
को ही दशा और दिशा बदलने के लिए,
नई राह बना चल पड़ने को प्रेरित किया जाए।
हम चलेंगे तो हमारे साथ एक हुजूम चलेगा
जिनकी सोच में भी एक नए अभ्युदय का
जोश मचलता छलकता हुआ पाया जाए....!!
★ जया सिंह ★
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