अन्यथा विष्णु

 अन्यथा विष्णु !                         •••••••••••••••


सोचिए जब हाथी को 

मगरमच्छ ने पानी में घसीटना शुरू किया

तब करुण पुकार सुनकर भी

विष्णु कपड़े बदलने लगते ? 

अपनी प्रस्तुति पर ध्यान केंद्रित करने लगते ?


गज डूबता रहता और

ग्राह उसे मार डालता....

विष्णु सजते संवरते रहते

तो कौन मानता उनको देवता !

कौन उनकी शक्तियों पर यकीं करता !


सहायता की करुण पुकार पर नंगे पैर

भागना ही उनको व्यापक विष्णु बनाता है !

उन्हें सर्वव्यापी ईश्वर का दर्जा दिलाता है।


अन्यथा देवता हो या राजा या मित्र 

अवसर बीत जाने पर आना 

किसको सुहाता है ?

दर्द अकेले सहा जाए

कोई साझेदार ना हो 

ये किसे भाता है ? ?

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बोधिसत्व






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