नवीनता का निर्माण

नवीनता का निर्माण :          

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इस सत्य को स्वीकार करना होगा कि हम जिन चीजों के बारे में ज़्यादा सोचते हैं।वह चीजें बढ़ने लगती है। क्योंकि उन्हें हमारी सोच की ऊर्जा मिलने लगती है और वो प्लस प्लस होती जाती हैं।इसलिए अपनी सोच की नकारात्मकता को खत्म करके उससे सिर्फ अच्छा और अच्छा बनाना जरूरी है।

ये कुछ पहलू जो हम अपने बारे में सोचते हैं....

★ मैं मोटा नहीं होना चाहता।                       

★ मैं बूढ़ा नहीं होना चाहता ।                                  

★ मैं टूटना नहीं चाहता ।                          

★मैं यहां रहना नहीं चाहता ।                       

★ मैं अपने माता पिता के जैसा नहीं होना चाहता ।   

★मैं बीमार नहीं पड़ना चाहता।

★मैं असंतुष्ट नहीं रहना चाहता।

★मैं तन्हा नहीं रहना चाहता ।

★मैं इस रिश्ते में नहीं रहना चाहता। 

जैसी अनेकों इच्छाएं या विचार मन में निरंतर चलाये रखते हैं । जिससे इनके प्रभाव में  निरंतर बढ़ोत्तरी होती रहती है। हमें वही सब मिलने लगता है जिससे हम दूर जाना चाहतें हैं।

इसलिए सकारात्मक विचार को प्राथमिकता देने शुरू किया जाना चाहिए जैसे कि नकारात्मक सूची इस प्रकार की है...

1: मेरा जीवन अस्त व्यस्त है

2: मुझे कोई प्यार नहीं करता 

3: मैं अपनी नौकरी से नफरत करता हूँ

4: मैं अव्यवस्थित हूँ

5: मैं उतना अच्छा नहीं हूं

6: मेरा वजन बहुत ज्यादा है

7: मैं आगे बढ़ने से डरता हूँ

8: मेरा काम उतना अच्छा नहीं है

9: मैं शारीरिक तौर पर आकर्षक नहीं हूं

10: मैं आलोचना से व्यथित हो जाता हूँ

अब ये सूची सकारात्मक बनाई जाए.. 

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1: मैं सकारात्मक परिवर्तन की प्रक्रिया में हूँ

2: मैं सुंदर छरहरा और प्रसन्न हूँ

3: मैं जहां भी जाता हूँ सब का प्रेम पाता हूँ

4: मेरे पास एक अच्छी नौकरी है

5: मैं पूरी तरह सुव्यवस्थित हूँ

6: मैं अपने आपको प्यार और स्वीकार करता हूँ

7: मुझे भरोसा है कि मैं बेहतरीन के ही लायक हूँ 

8: मैं आनंदमय ख़ुश और मुक्त हूँ 

इस तरह सोच को बदलकर जीवन बदला जा सकता है। क्योंकि ब्रम्हांड हमारी सोच की vibes को निरंतर catch करता रहता है। और उसे हमारे लिए यथार्थ बनाता है। बेहतर ये है कि सोच बदलो जीवन बदलो। 

ईश्वर कहतें है कि तुम वो करने की सोचते हो जो तुम चाहते हो। और होता वो है जो मैं चाहता हूं। पर यदि तुम वो करने की सोचोगे जो मैं चाहता हूं तो वो होने लगेगा जो तुम चाहते हो। बस यही जीवन का मूल मंत्र है। 

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