काम की बात
"काम की बात" ••••••••••••••••••••
कभी आपने बाजार से माचिस खरीदी है, आजकल एक रुपए की एक आती हे जिसमें शायद बीस के आसपास तीली रहती है। मतलब माचिस का हिसाब किताब लगाया जाए तो एक तीली लगभग पांच पैसे की आती है और जिसके साथ माचिस के उस कागज रूपी आवरण की कोई कीमत नहीं होती। अब आप देखिए की यह पांच पैसे की चीज एक घर , एक जंगल, एक परिवार और भी बहुत कुछ यानी की एक बड़े स्तर का विनाश कर सकती है। अच्छा यह तो विनाश कर देगी किंतु उस विनाश को बचाने के लिए जो आपका खर्च आता हे उसका हिसाब लगा लो छोटे स्तर की आग रही तो एक दमकल, थोड़ी बढ़ी तो दो तीन चार दमकल या और भी अधिक लग सकते हे। उसके बाद भी यह तय नहीं है की विनाश में कितना कुछ बचाया जा सकेगा या सबकुछ जलकर राख हो जायेगा। अब आप सोचिए यही माचिस की तीली आपके जीवन में भी आती है, किसी की कही हुई एक बात जो घूमते हुए कितनी बदल जाती है । आपके कानों में कहा से आती है, उसके परिणाम स्वरूप आप क्या करते है उसका नतीजा क्या होता है । यानी की ऊपर जो पांच पैसे की तीली है ठीक उसी प्रकार यह बातें होती हे जो आपके जीवन का सर्वनाश कर देती हे। अच्छा आप हिसाब लगाना हमेशा रिश्तों को बचाना महंगा ही साबित होता है। और यह जो दमकल रूपी पानी रूपी आपके मित्र आपके रिश्तेदार जो उस आग से आपको बचाना चाहते हे,वो भी प्रयास तो पूरा करते है किंतु कितना क्या बचा लेंगे यह उन्हें भी नही पता होता है। क्योंकि कुछ रिश्तेदार मित्र हवा की तरह भी होते है जो इस आग को फेलाने का कार्य करते है। इसलिए हमेशा रिश्तों को बचाने के लिए कार्य करिए, क्योंकि इसमें मेहनत भी है समय भी पूरा लगता है इसमें आपका निवेश भी बहुत बड़ा होता है। इस निवेश को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। और जीवन में यदा कदा यह माचिस की तीली नजर आए तो तुरंत उस पर वही पानी डालकर उसका महत्व खत्म कर दो।
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