दूरी बनी सच 😣
दूरी बनी सच....... !
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क्यों ये अहसास हुआ ,
एक दूरी का आभास हुआ।
पीढ़ियों के अंतर में ,
रिश्तों का सत्यानाश हुआ।
कम लगा अपनों का प्यार ,
दूर लगे सब पालनहार।
भावनाओं की बलि चढ़ी ,
ममता बिकी सरेबाज़ार।
सब मर्म उधड़ कर रह गए,
तकलीफ बयां कर ही गए।
ख़त्म हुआ अपनापन यूँ ,
जैसे सब पीछे रह ही गए ,
क्यों भारी पड़ा प्रगति का फेर ,
अब रिश्ते बिकते बाजारों में।
मर गयी है भावनाएँ दिल की ,
प्रेम खड़ा हैं लाचारों में।
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क्यों ये अहसास हुआ ,
एक दूरी का आभास हुआ।
पीढ़ियों के अंतर में ,
रिश्तों का सत्यानाश हुआ।
कम लगा अपनों का प्यार ,
दूर लगे सब पालनहार।
भावनाओं की बलि चढ़ी ,
ममता बिकी सरेबाज़ार।
सब मर्म उधड़ कर रह गए,
तकलीफ बयां कर ही गए।
ख़त्म हुआ अपनापन यूँ ,
जैसे सब पीछे रह ही गए ,
क्यों भारी पड़ा प्रगति का फेर ,
अब रिश्ते बिकते बाजारों में।
मर गयी है भावनाएँ दिल की ,
प्रेम खड़ा हैं लाचारों में।
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