कश्मीर उड़ी में शहीद हुए उन तमाम सैनिकों के नाम एक नमन......! 
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अब की बार जो वह आया था ,
ठहरा था बस कुछ ही दिन। 
वो कुछ दिन भूल सके न हम  ,
कैसे गुजरेंगे दिन तेरे बिन। 
         कह के गया था अगली  बार ,
         बिट्टो के खिलौने लाऊंगा। 
        क्या उसे पता था अबकि बार ,
        अर्थी पर चढ़ कर जाऊंगा ?
हमने भेजा था उसे वहाँ ,
जहाँ सब की रक्षा की बात थी  . 
पर अपने लिए क्यों सोचा ना ,
की भविष्य में काली रात थी। 
        पीछे रह गए जो अपने अब , 
        वो कैसे जीवन जी पायेंगे। 
        दिल की यादों को तस्वीर से ,
        यूँ ही बहला कर सहलाएंगे।  
क्यों समझी नहीं है वह पीड़ा, 
जो चिता सुलगते सुलगी है। 
घर परिवार की भूख में छिपी ,
तकलीफ बन कर छलकी है। 
            हमें क्यों फर्क नहीं पड़ता ,
        क्यों हमारा चूल्हा बुझा नहीं। 
        जाने कितने ही दिन से पर ,
        उस घर का चूल्हा जला नहीं। 
अब अब कभी नहीं वो आएगा ,
न हँसते घर को बसाएगा। 
हम यूँ ही तकते रह जायँगे ,
उम्मीदें  बन कर तरसायेगा। 

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