जूनून और वहशियत से करीबी
का परिणाम........!
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जूनून किस हद तक किसी को भ्रमित कर सकता है और कितने ही जीवनों का साथ खिलवाड़ कर सकता है ये आज कल के युवा दिखा और सिखा भी सकते हैं। क्योंकि सब से पहले तो इन के पास धैर्य ख़त्म हो गया है। दूसरा हर चीज पाने की प्रबल इच्छा ने सही गलत का फर्क मिटा दिया है। तीसरा आधुनिकता की दौड़ में बने रहने के लिए उन्होंने अपने लिए पैमाने निर्धारित कर लिए हैं उस पर खरे उतरने और समाज में बने रहने के लिए वह कुछ भी कर गुजरने को और किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं।
इस का ज्वलंत उदाहरण है अभी हाल ही में घटा एक किस्सा........ इस किस्से को अगर युवती पढ़े तो एक सबक के तौर पर ले सकती है और युवक एक सीख के तौर पर ले सकते हैं पर शायद हम सिर्फ कहने और सुनाने के लिए ही हैं बस ,कुछ मानना तो जैसे इनकी फितरत में ही नहीं है। किस्सा है एकतरफा प्रेम के अंजाम का। दिल्ली के एक युवक का एक युवती के घर आना जाना था। परिणाम स्वरुप वह युवक , युवती से एक तरफ प्रेम करने लगा। उस युवती के परिवार जनों ने कई बार युवक को इस बारे में सावधान किया पर हर बार वह युवक सब कुछ सामान्य हो जाने के झूठे आश्वासन दे कर युवती के करीब रहने का बहाना ढूंढ लेता था। युवती के परिवारजन भी आश्वस्त हो कर बात वही खत्म मान लेते थे। पर शायद इस मामले को ढीलाई देना उन्हें भारी पड़ गया। एक दिन उस युवक ने उस युवती का पीछा कर के उसे अपने लिए मनाने की कोशिश की। परंतु उस युवती के ना करने पर उसने उस युवती को सरेबाजार चाकू से 29 बार बेरहमी से गोद कर मार डाला। युवती मदद को चीखती रही पर सामान्य रूप से कभी भी साथ न देने वाले सामाजिक तत्वों ने उस दिन भी आँख कान बंद कर लिए। वह युवती सब के सामने इस दुनिया से चली गयी। किस्सा ख़त्म उस लड़की का भी और मेरे सुनाने का भी।
अब इस घटना के होने या इसे रोक पाने के कारणों पर विचार किया जाए। सबसे पहले यह कि जरूरत ही नहीं कि किसी ऐसे युवक के संपर्क में रहो जिस के साथ अपना भविष्य न दिखाई दे रहा हो। और फिर आजकल जूनून और वहशियत बढ़ जाने से सब से बेहतर उपाय यह है कि युवक की मानसिकता का हल्का सा अंदाज हो जाने पर ही दूर हो जाओ।क्योंकि अगर एक लंबे समय साथ रहने के बाद अगर अलग होने का निर्णय लिया जाएगा तो वह युवक मानसिक रूप से इसे स्वीकार नहीं करेगा। परिणाम स्वरुप कुछ ऐसा करने का सोचेगा जो गलत है। जैसे हत्या , तेजाबी हमला , या बलात्कार जिससे युवती की जिंदगी ख़त्म की जा सके। बच्चे ये नहीं समझते उनके लिए दोस्ती एक मजाक बन गयी है। लड़कों से दोस्ती कब दूसरी तरफ से प्यार में बदल जाए नहीं कहा जा सकता। इस लिए बेहतर है की पहले ही दूर रहो। हमारी सुरक्षा हमारी खुद की सोच और सावधानी पर निर्भर करती है। सामजिक रूप से स्वतंत्र होने का ये अर्थ नहीं कि हम उन लोगों के संपर्क में रहे जो हमारे वजूद की स्वतंत्रता को कुचल कर हावी होने की कोशिश करते हैं। ये एक सीख है उस युवतियों के लिए जो लड़कों से मित्रता को अपनी आधुनिकता का परिचायक समझती हैं और बाद में इसके वीभत्स परिणाम भुगतती हैं।
का परिणाम........!

जूनून किस हद तक किसी को भ्रमित कर सकता है और कितने ही जीवनों का साथ खिलवाड़ कर सकता है ये आज कल के युवा दिखा और सिखा भी सकते हैं। क्योंकि सब से पहले तो इन के पास धैर्य ख़त्म हो गया है। दूसरा हर चीज पाने की प्रबल इच्छा ने सही गलत का फर्क मिटा दिया है। तीसरा आधुनिकता की दौड़ में बने रहने के लिए उन्होंने अपने लिए पैमाने निर्धारित कर लिए हैं उस पर खरे उतरने और समाज में बने रहने के लिए वह कुछ भी कर गुजरने को और किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं।
इस का ज्वलंत उदाहरण है अभी हाल ही में घटा एक किस्सा........ इस किस्से को अगर युवती पढ़े तो एक सबक के तौर पर ले सकती है और युवक एक सीख के तौर पर ले सकते हैं पर शायद हम सिर्फ कहने और सुनाने के लिए ही हैं बस ,कुछ मानना तो जैसे इनकी फितरत में ही नहीं है। किस्सा है एकतरफा प्रेम के अंजाम का। दिल्ली के एक युवक का एक युवती के घर आना जाना था। परिणाम स्वरुप वह युवक , युवती से एक तरफ प्रेम करने लगा। उस युवती के परिवार जनों ने कई बार युवक को इस बारे में सावधान किया पर हर बार वह युवक सब कुछ सामान्य हो जाने के झूठे आश्वासन दे कर युवती के करीब रहने का बहाना ढूंढ लेता था। युवती के परिवारजन भी आश्वस्त हो कर बात वही खत्म मान लेते थे। पर शायद इस मामले को ढीलाई देना उन्हें भारी पड़ गया। एक दिन उस युवक ने उस युवती का पीछा कर के उसे अपने लिए मनाने की कोशिश की। परंतु उस युवती के ना करने पर उसने उस युवती को सरेबाजार चाकू से 29 बार बेरहमी से गोद कर मार डाला। युवती मदद को चीखती रही पर सामान्य रूप से कभी भी साथ न देने वाले सामाजिक तत्वों ने उस दिन भी आँख कान बंद कर लिए। वह युवती सब के सामने इस दुनिया से चली गयी। किस्सा ख़त्म उस लड़की का भी और मेरे सुनाने का भी।
अब इस घटना के होने या इसे रोक पाने के कारणों पर विचार किया जाए। सबसे पहले यह कि जरूरत ही नहीं कि किसी ऐसे युवक के संपर्क में रहो जिस के साथ अपना भविष्य न दिखाई दे रहा हो। और फिर आजकल जूनून और वहशियत बढ़ जाने से सब से बेहतर उपाय यह है कि युवक की मानसिकता का हल्का सा अंदाज हो जाने पर ही दूर हो जाओ।क्योंकि अगर एक लंबे समय साथ रहने के बाद अगर अलग होने का निर्णय लिया जाएगा तो वह युवक मानसिक रूप से इसे स्वीकार नहीं करेगा। परिणाम स्वरुप कुछ ऐसा करने का सोचेगा जो गलत है। जैसे हत्या , तेजाबी हमला , या बलात्कार जिससे युवती की जिंदगी ख़त्म की जा सके। बच्चे ये नहीं समझते उनके लिए दोस्ती एक मजाक बन गयी है। लड़कों से दोस्ती कब दूसरी तरफ से प्यार में बदल जाए नहीं कहा जा सकता। इस लिए बेहतर है की पहले ही दूर रहो। हमारी सुरक्षा हमारी खुद की सोच और सावधानी पर निर्भर करती है। सामजिक रूप से स्वतंत्र होने का ये अर्थ नहीं कि हम उन लोगों के संपर्क में रहे जो हमारे वजूद की स्वतंत्रता को कुचल कर हावी होने की कोशिश करते हैं। ये एक सीख है उस युवतियों के लिए जो लड़कों से मित्रता को अपनी आधुनिकता का परिचायक समझती हैं और बाद में इसके वीभत्स परिणाम भुगतती हैं।
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