एक कविता स्त्री के नाम ........!
*****************************
नारी जीवन दायिनी ,
नारी है एक वरदान।
जन्म दिया माँ बनकर ,
फिर पत्नी बन संतान।
नारी कोमल निर्मला ,
यह होती फूल समान।
वक्त पड़े तो बन जाए
फिर बरछी तीर कमान।
छाया सी सर पर रहे ,
नारी वट वृक्ष समान।
सृजन कर परिवार की ,
बनाये अलग पहचान।
नारी के अंतर बसे ,
सहनशीलता आन।
मूरत त्याग की है ये ,
नित्य करे बलिदान।
नारी को मत मानना ,
दुर्बल अबला जान।
संकट में देवी रूप धरे ,
ये है एक तूफान।
युगों युगों से ये जगत ,
जो बना पुरुष प्रधान।
पग पग पर है रोकता,
हर नारी का उत्थान।
सम्पूर्णता की परिभाषा,
है नारीत्व का अभिमान ,
अपनी कृति पर युगों से,
गर्वित है भगवान।
जितना गाओ कम लगे ,
नारी का गुणगान।
कण कण अब करेगा ,
नारी का संम्मान।
***********************************
*****************************
नारी जीवन दायिनी ,
नारी है एक वरदान।
जन्म दिया माँ बनकर ,
फिर पत्नी बन संतान।
नारी कोमल निर्मला ,
यह होती फूल समान।
वक्त पड़े तो बन जाए
फिर बरछी तीर कमान।
छाया सी सर पर रहे ,
नारी वट वृक्ष समान।
सृजन कर परिवार की ,
बनाये अलग पहचान।
नारी के अंतर बसे ,
सहनशीलता आन।
मूरत त्याग की है ये ,
नित्य करे बलिदान।
नारी को मत मानना ,
दुर्बल अबला जान।
संकट में देवी रूप धरे ,
ये है एक तूफान।
युगों युगों से ये जगत ,
जो बना पुरुष प्रधान।
पग पग पर है रोकता,
हर नारी का उत्थान।
सम्पूर्णता की परिभाषा,
है नारीत्व का अभिमान ,
अपनी कृति पर युगों से,
गर्वित है भगवान।
जितना गाओ कम लगे ,
नारी का गुणगान।
कण कण अब करेगा ,
नारी का संम्मान।
***********************************
Comments
Post a Comment