जीवन का गणित.....!
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वक्त तो रेत की तरह है ,
   फिसलता ही जायेगा। 
जीवन एक कारवां है ,
   जो चलता चला जायेगा। 
मिल जायेंगे कुछ खास रिश्ते ,
   इस सफर के दरमियान ,
सहेज लेना उन्हें ,
   वर्ना जाने के बाद कोई ,
लौट के ना आएगा। 
   जो प्राप्त है वह पर्याप्त है ,
यही हिसाब सुकून लाएगा ,
  बेहिसाब के फेर में ,
पाया सुख बलि चढ़ जायेगा। 
   ख़ूबसूरती हर उस पल में है ,
जो पास रह जायेगा। 
   खुशियां उस कल में नहीं ,
जो हाथ से फिसल जायेगा। 
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