रिश्तों का मर्म ....!!!
*******************
रिश्ते जो दिल में पला करते हैं ,
सिर्फ वो ही दूर तक चला करते हैं।
नयनों पर यकीं ना करना कभी ,
पल पल में पसंद बदला करते हैं।
रास्तों और रिश्तों का अंत समझो,
जब पाँव नहीं , दिल थक जाते हैं।
इंसानियत को सबसे बड़ा समझ ,
क्या कभी हम दिल से निभाते हैं।
बेऐब तो कोई नहीं नहीं है अब ,
गर चाहते हो फ़रिश्ते को चुन लो।
इंसानों की बस्ती में रिश्ते तो ,
खताओं के साथ ही मिलेंगे।
अजनबी सी जिंदगी हो जाती है जब,
वक्त अपनी रफ़्तार तेज़ कर देता है।
बशर्ते खुद टूट जाए , ये मंजूर है हमें ,
रिश्ता तोड़, किसी को छोड़ना नहीं सीखा।
*******************
रिश्ते जो दिल में पला करते हैं ,
सिर्फ वो ही दूर तक चला करते हैं।
नयनों पर यकीं ना करना कभी ,
पल पल में पसंद बदला करते हैं।
रास्तों और रिश्तों का अंत समझो,
जब पाँव नहीं , दिल थक जाते हैं।
इंसानियत को सबसे बड़ा समझ ,
क्या कभी हम दिल से निभाते हैं।
बेऐब तो कोई नहीं नहीं है अब ,
गर चाहते हो फ़रिश्ते को चुन लो।
इंसानों की बस्ती में रिश्ते तो ,
खताओं के साथ ही मिलेंगे।
अजनबी सी जिंदगी हो जाती है जब,
वक्त अपनी रफ़्तार तेज़ कर देता है।
बशर्ते खुद टूट जाए , ये मंजूर है हमें ,
रिश्ता तोड़, किसी को छोड़ना नहीं सीखा।
Comments
Post a Comment