रिश्तों का मर्म  ....!!!
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रिश्ते जो दिल में पला करते हैं ,
सिर्फ वो ही दूर तक चला करते हैं। 
नयनों पर यकीं ना करना कभी ,
पल पल में पसंद बदला करते हैं। 

रास्तों और रिश्तों का अंत समझो,
जब पाँव नहीं , दिल थक जाते हैं। 
इंसानियत को सबसे बड़ा समझ ,
क्या कभी हम दिल से निभाते हैं। 

बेऐब तो कोई नहीं नहीं है अब ,
गर चाहते हो फ़रिश्ते को चुन लो। 
इंसानों की बस्ती में रिश्ते तो ,
खताओं के साथ ही मिलेंगे। 

अजनबी सी जिंदगी हो जाती है जब,
वक्त अपनी रफ़्तार तेज़ कर देता है।
बशर्ते खुद टूट जाए , ये मंजूर है हमें ,
रिश्ता तोड़, किसी को छोड़ना नहीं सीखा। 





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