दुख दूर कैसे करें ?
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सबसे पहले दुख किस कारण होता हें यह जान ले !
1. क्या कोई डिप्रेशन का कारण है !
2. क्या प्यार को लेकर दुखी हो !
3. क्या करियर को लेकर दुखी हो !
4. क्या सकारात्मक सोच ना रख पाने की वजह से दुखी हैं !
5. क्या लक्ष्य पर ध्यान न केंद्रित कर पाने की वजह से दुखी हैं !
6. क्या खुद से संतृष्ट नहीं महसूस कर पाते !
21वी सदी में हर किसी को हमेशा दुखी रहने की आदत सी हो गई है, क्योंकि किसी की भी लाइफ बिल्कुल परफेक्ट नहीं है | बड़े बड़े सुपरस्टार की जिंदगी भी तमाम सुख सुविधाओं और ऐशो आराम के बाद भी दुख से भरी हुई होती है | इस जीवन में सुख के साथ दुख का बैलेंस रहता है क्योंकि हमारे जीवन में अगर दुख नहीं रहा तो हम सुख की अनुभूति का मज़ा नहीं ले पाएंगे | बहुत सारे लोग हमेशा चिंता में रहते हैं, अगर हमेशा चिंता में रहेंगे तो यह ज्यादा दुख का कारण बनेगा जिसके कारण जिंदगी में कभी भी सफलता हासिल नहीं हो पाएगी |
दुख दूर कैसे करें :
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इसलिए अपनी जिंदगी में हमेशा खुश रहने का प्रयास करना चाहिए, जिस भी बात का तनाव है उसे शीघ्रातिशीघ्र हल करने की कोशिश करनी चाहिए | ज्यादा समयूस तनाव के साथ रहने से दुख और ज्यादा बढ़ता जाएगा जिससे आत्मविश्वास में कमी होगी |
सबसे पहले दुख किस कारण होता है यह समझना जरूरी है । बहुत सारे लोगों को दुखी 'किस कारण से हैं ' यह ही नहीं पता होता है, क्योंकि हमेशा दुख को सोचते रहने की आदत सी हो जाती है | इसलिए वह किसी अरुचिकर बात से तुरंत ही दुखी हो जाते हैं, अगरयह भावना जल्द से जल्द नहीं बदलते तो जिंदगी भर दुख में रहने का कारण बन जाती है । दुखी रहने का कारण अगर मिल जाए समझ आ जाये , तब ठंडे दिमाग से उस बात को सोच कर उसके होने या न होने के फर्क़ को समझ कर अपने दुख को तौलना चाहिए ।
वह बात जिंदगी में सच में मायने लगती है क्या ऐसे सवाल आपने खुद से पूछना चाहिए, हर रोज रात को सोने से पहले खुद से बात करनी चाहिए अगर खुद से बात नहीं कर सकते हो तो यह ज्यादा दुख का कारण बनता है। खुद से बात करने से हमें सही सवाल का जवाब मिलता है, इसलिए किसी बात को लेकर जब तनाव में हो तब खुद से बातें जरूर करनी चाहिए , स्वयं से अच्छा दोस्त कोई और नहीँ होता ।
अक्सर देखते हैं कि समाज में ऐसे बहुत लोग होते हैं जो जल्दी ही डिप्रेशन में चले जाते हैं, डिप्रेशन में जाने से भावनात्मक बदलाव जिंदगी बदल देता है | डीप्रेशन में जाने से ज्यादा दुख होता है लेकिन इसका परोक्ष , गलत असर शरीर पर भी पड़ेगा | इसलिए डिप्रेशन में गलत निर्णय से जिंदगी पछतावे में बदल जाती है।
हमेशा सकारात्मक सोच रखें :
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हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए, अगर किसी भी बात को नकारात्मक तरीके से सोचा जाएगा तो वह बात हमेशा नकारात्मक ही होगी | आप जिंदगी में जितना ज्यादा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ोगे , उतनी आपकी जिंदगी आसान होती जाएगी | नकारात्मक सोच रखने से शरीर वह काम को हमेशा नकारात्मक नजरिए से देखता और करता है | इसलिये हमेशा किसी भी बात को लेकर सकारात्मक सोचना चाहिए | जितना किसी बात को लेकर सकारात्मक सोच रखेंगे , उतना शरीर उस काम को करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा लगाएगा |
हर रोज ध्यान करें और खुद से संतुष्ट रहें :
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रोजाना ध्यान करने से शरीर किसी बात को लेकर हमेशा एकाग्र रहने में मदद करता है | जिस दिन से शरीर किसी बात को लेकर एकाग्र रहेगा उतना कॉन्संट्रेशन बढ़ने लगेगा | कॉन्संट्रेशन बढ़ने से जिंदगी भर किसी भी बात को लेकर अत्यधिक दुखी नहीं रहना होगा। हर रोज ध्यान करने से किसी बात को लेकर सोच भी बदल जाएगी, क्योंकि ध्यान करने में इतनी ताकत होती है जो पूरे शरीर को और स्वयं को भी बदल सकती है | अब एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि खुद को कमतर ना समझा जाये। अपनी शक्ति , सामर्थ्य और ताकत पर जब भरोसा खूब ज्यादा होगा तो कार्य मे असफलता आ ही नहीं सकती। खुद पर भरोसा ही ईश्वर का भी साथ दिलाता है।
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सबसे पहले दुख किस कारण होता हें यह जान ले !
1. क्या कोई डिप्रेशन का कारण है !
2. क्या प्यार को लेकर दुखी हो !
3. क्या करियर को लेकर दुखी हो !
4. क्या सकारात्मक सोच ना रख पाने की वजह से दुखी हैं !
5. क्या लक्ष्य पर ध्यान न केंद्रित कर पाने की वजह से दुखी हैं !
6. क्या खुद से संतृष्ट नहीं महसूस कर पाते !
21वी सदी में हर किसी को हमेशा दुखी रहने की आदत सी हो गई है, क्योंकि किसी की भी लाइफ बिल्कुल परफेक्ट नहीं है | बड़े बड़े सुपरस्टार की जिंदगी भी तमाम सुख सुविधाओं और ऐशो आराम के बाद भी दुख से भरी हुई होती है | इस जीवन में सुख के साथ दुख का बैलेंस रहता है क्योंकि हमारे जीवन में अगर दुख नहीं रहा तो हम सुख की अनुभूति का मज़ा नहीं ले पाएंगे | बहुत सारे लोग हमेशा चिंता में रहते हैं, अगर हमेशा चिंता में रहेंगे तो यह ज्यादा दुख का कारण बनेगा जिसके कारण जिंदगी में कभी भी सफलता हासिल नहीं हो पाएगी |
दुख दूर कैसे करें :
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इसलिए अपनी जिंदगी में हमेशा खुश रहने का प्रयास करना चाहिए, जिस भी बात का तनाव है उसे शीघ्रातिशीघ्र हल करने की कोशिश करनी चाहिए | ज्यादा समयूस तनाव के साथ रहने से दुख और ज्यादा बढ़ता जाएगा जिससे आत्मविश्वास में कमी होगी |
सबसे पहले दुख किस कारण होता है यह समझना जरूरी है । बहुत सारे लोगों को दुखी 'किस कारण से हैं ' यह ही नहीं पता होता है, क्योंकि हमेशा दुख को सोचते रहने की आदत सी हो जाती है | इसलिए वह किसी अरुचिकर बात से तुरंत ही दुखी हो जाते हैं, अगरयह भावना जल्द से जल्द नहीं बदलते तो जिंदगी भर दुख में रहने का कारण बन जाती है । दुखी रहने का कारण अगर मिल जाए समझ आ जाये , तब ठंडे दिमाग से उस बात को सोच कर उसके होने या न होने के फर्क़ को समझ कर अपने दुख को तौलना चाहिए ।
वह बात जिंदगी में सच में मायने लगती है क्या ऐसे सवाल आपने खुद से पूछना चाहिए, हर रोज रात को सोने से पहले खुद से बात करनी चाहिए अगर खुद से बात नहीं कर सकते हो तो यह ज्यादा दुख का कारण बनता है। खुद से बात करने से हमें सही सवाल का जवाब मिलता है, इसलिए किसी बात को लेकर जब तनाव में हो तब खुद से बातें जरूर करनी चाहिए , स्वयं से अच्छा दोस्त कोई और नहीँ होता ।
अक्सर देखते हैं कि समाज में ऐसे बहुत लोग होते हैं जो जल्दी ही डिप्रेशन में चले जाते हैं, डिप्रेशन में जाने से भावनात्मक बदलाव जिंदगी बदल देता है | डीप्रेशन में जाने से ज्यादा दुख होता है लेकिन इसका परोक्ष , गलत असर शरीर पर भी पड़ेगा | इसलिए डिप्रेशन में गलत निर्णय से जिंदगी पछतावे में बदल जाती है।
हमेशा सकारात्मक सोच रखें :
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हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए, अगर किसी भी बात को नकारात्मक तरीके से सोचा जाएगा तो वह बात हमेशा नकारात्मक ही होगी | आप जिंदगी में जितना ज्यादा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ोगे , उतनी आपकी जिंदगी आसान होती जाएगी | नकारात्मक सोच रखने से शरीर वह काम को हमेशा नकारात्मक नजरिए से देखता और करता है | इसलिये हमेशा किसी भी बात को लेकर सकारात्मक सोचना चाहिए | जितना किसी बात को लेकर सकारात्मक सोच रखेंगे , उतना शरीर उस काम को करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा लगाएगा |
हर रोज ध्यान करें और खुद से संतुष्ट रहें :
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रोजाना ध्यान करने से शरीर किसी बात को लेकर हमेशा एकाग्र रहने में मदद करता है | जिस दिन से शरीर किसी बात को लेकर एकाग्र रहेगा उतना कॉन्संट्रेशन बढ़ने लगेगा | कॉन्संट्रेशन बढ़ने से जिंदगी भर किसी भी बात को लेकर अत्यधिक दुखी नहीं रहना होगा। हर रोज ध्यान करने से किसी बात को लेकर सोच भी बदल जाएगी, क्योंकि ध्यान करने में इतनी ताकत होती है जो पूरे शरीर को और स्वयं को भी बदल सकती है | अब एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि खुद को कमतर ना समझा जाये। अपनी शक्ति , सामर्थ्य और ताकत पर जब भरोसा खूब ज्यादा होगा तो कार्य मे असफलता आ ही नहीं सकती। खुद पर भरोसा ही ईश्वर का भी साथ दिलाता है।
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