Negetive Thoughts का बड़ा दायरा ...😞

Negetive Thoughts का बड़ा दायरा 😞
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ये जीवन है और जीवन बहुत सी स्थिति परिस्थिति से जुड़ा है । उसमें हम और हमारे साथ बहुत से लोग शामिल रहते हैं जो हमारी ही तरह एक सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा होते हैं। अब इन स्थितियों परिस्थितियों में जीते हुए अच्छा और बुरा दोनों होता है। अच्छा होने पर अच्छा लगता है। पर बुरा होने पर या या उसके होने की आशंका पर ग़लत विचार आना लाज़मी होता है। अर्थात वह negetive thought जो परिस्थितिवश जन्म लेते हैं। अब इन negetive thoughts के मुख्य points कौन कौन से हैं जो हमें आगाह करेंगे कि हम नकारात्मक विचारधारा से जूझ रहे हैं । वह निम्न हैं : 
1. मन मे डर का जन्म लेना  , 2. Stress पैदा होना , 3.  किसी की निंदा में रुचि जगना ,4. किसी से ईष्या का अनुभव होना , 5. किसी से तुलना  किया जाना , 6. छोटी सी बात पर hurt या  पीड़ित महसूस करना , 7. किसी को किसी मुद्दे के लिए गलत ठहराना , 8. किसी से किन्हीं बातों के लिए नफरत कर बैठना  , 9. किसी के साथ अपनी तुलना करना , 10. खुद को दूसरों के मुक़ाबले हीन समझना। 
                      ये कुछ  महत्वपूर्ण बिंदु है। पर विचारधारा का एक बहुत बड़ा दायरा होता है। हर विचारधारा को जन्म लेने के बाद उसकी दशा दिशा बदलना सम्भव नहीं होता।  क्योंकि तब तक वो अपने उद्गम सोर्स यानी हमारे मस्तिष्क से निकल कर अपना फैलाव कर चुके होते हैं। अब प्रश्न ये है कि इसे रोकें कैसे .........।
         इसके लिए हमें सबसे  शरुआत वही से करनी है। " संकल्प से सृष्टि बनती है। "
इसलिए वो नहीं सोचें जिसका भय है , दुःख है या जो तनाव का कारण है। वह सोचें जो हम चाहते हैं।  निरंतर वही सोचते रहने से धीरे धीरे वही होने लगेगा जो हम चाहते हैं। हो सकता है पूर्ण नहीं पर अंश भर भी मनचाहा बदलाव ऊर्जा का कारण बनेगा।  वह कहते हैं ना कि जब किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने की साज़िश करने लगती है। बस यही शिद्दत हमें वह सोचने में करनी चाहिए जैसे हम परिस्थितियों को बनाना चाहते है। 

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