ईश्वर परीक्षा ले रहा है : संभलिये 😔🙏

 ईश्वर परीक्षा ले रहा है संभलिये 😔🙏                         ••••••••••••••••••••••••••••••       ईश्वर किस तरह , किस रूप में परीक्षा ले सकता है ये समझ पाना असंभव है । हम जब भी अपनी खासियतों और ताकत पर गुमान करते हुए पाएं जाएंगे। ईश्वर उसके बदले हमें अपनी ताक़त दिखा कर हमारे छोटेपन का अहसास अवश्य कराएगा।                                       चाहे वो कोरोना हो या वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों का जाल।ये सब ईश्वर की रचित माया है। जिसमें हम सब प्राणी उलझ कर रह जाते हैं। भारतीय स्थितियों की नज़र से देखें तो ईश्वर इस समय कुपित चल रहा है। कुछ विकास को प्रकृति से ऊपर रखने के लिए और कुछ लोकतंत्र में आस्था रखने के लिए। क्योंकी आज ना तो प्रकृति ही बच पा रही ना ही लोकतंत्र का अस्तित्व रह गया है। इसलिए ईश्वर अपनी मर्ज़ी पर उतर आया है। क्योंकि उसे ये दिखाना है कि वह अवहेलना और तानाशाही को बिल्कुल नहीं बर्दाश्त करता।                                                  कोरोना आख़िर क्या है.............इसे महामारी कहते है पर है ये परमात्मा की सीख का डंडा। मानव उसके द्वारा बख्शी जिंदगियों को बहुत हल्के में लेने लगा । उसके साथ नए नए प्रयोग करने लगा। उसको अपनी मर्ज़ी से चलाने की सुविधाएं जुटाने लगा। तब उस परमपिता ने बागडोर अपने हाथ लेकर उसे उसकी कमज़ोरी को महसूस कराया। कोरोना चाहे मानव निर्मित वायरस हो , पर हुआ ये ईश्वर की ही इच्छा से है।                                               इसी तरह राजनीति को देखा जाए तो सत्तासीन पार्टियों के भ्रम जाल में फंस कर इंसान अपनी इंसानियत खो रहा। अपनों से ही नफरत करके उन्हें खुद से अलग कर रहा। ये राजनीति के विनाश का प्रतीक है। क्योंकि लोकतंत्र एक दूसरे से जुड़े रहने का विधान है। धड़ो में बांट कर राजनीति करने वालों की मंशा ईश्वर ने खुद उनके विनाश के लिए रची है। लोगों को धर्म , जाति और संप्रदायों में बांट कर उनके बीच जहर घोलने वाली राजनीति ईश्वर की इच्छा से परे है। ये कलयुग चल रहा ये कहते हैं अर्थात विनाशकारी प्रवृत्तियाँ अपने चरम पर होंगी। लेकिन चरम की भी सीमा पूर्ण होने के बाद ईश्वर की मर्ज़ी का प्रादुर्भाव होगा। राजनीति में आज जो ख़ुद को ख़ुदा समझ बैठे हैं उनका अंत तय है। क्योंकि दूसरों के लिए गड्ढा खोदने वाला स्वयं को ज्यादा दिन उसमें गिरने से नहीं बचा सकता।                                         आज के युग की ये हक़ीक़त है कि हम अपने कर्मों की सज़ा इसी जन्म में भोगेंगे। दूसरे जन्म में क्या होगा हमें क्या पता .......कोरोना भी इसी जन्म की गलती है परिणाम है और घृणित राजनीति भी। इनका अंत भी ईश्वर ही करेगा। लेकिन कब और कैसे ये मानव नहीं जानता .........

"इस लिए ईश्वर की शक्ति को महसूस करिए , डरिये और उसकी इज्ज़त करिए। स्थितियां ज़रूर सम्भलेंगी । लेकिन सिर्फ़ हमारे अच्छे प्रयास से । "                                            ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆











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