कर्मों का प्रतिफल : 🙏🙏
कर्मों का प्रतिफल : 🙏🙏 ••••••••••••••••••••••••• दैनिक दिनचर्या में हम नित कुछ कर्म करते है। कुछ निश्चित और अप्रत्याशित। अर्थात परिस्थितयाँ भी कभी कुछ अचानक कर्म करने को बाध्य करती हैं। जो निश्चित कर्म होते हैं उनका प्रतिफल हमें कुछ हद तक पता होता है। लेकिन अप्रत्याशित कर्मों का फल क्या होगा हम इसका आभास भर कर सकते है। आश्वस्त नहीं हो सकते। उदाहरण से समझें कि आटा गूंथा गया ..........अब पता है इसकी रोटी बनाई जाएगी और सामान्यतः घरों में रोटियां अच्छी ही बनती है। लेकिन यदि खमीर डालकर ब्रेड बनाने की तैयारी की तो खमीर कितना उठेगा , आटा कितना फूलेगा और ब्रेड कितनी नर्म बनेगी ये पहले से पता नहीं होता। क्योंकि जब कुछ हटकर किया जाता है तो परिणाम भी निश्चित नहीं होते। इसी तरह हमारी जिंदगी है। हमें निश्चित कार्यों के अलावा किये जा रहे हर कार्य को इस तरह करना चाहिए कि वो प्रभु इच्छा से हो रहा है। इसके दो लाभ मिलेंगे। एक तो उसकी शक्ति का प्रभाव कार्य को सफल बनाने के लिए साथ होयेगा। दूसरा अगर असफलता हाथ लगती है तो हम ये सोच कर कम दुःखी होंगे कि इसमें हरि इच्छा शामिल है। प्रयास तो हमने किया पर शायद प्रभु ने इससे बेहतर कुछ और हमारे लिए सोचा है। यही जीवन के सुचारू चलने की नियति है।
निश्चित कर्मों के प्रतिफल को हम अपने सामर्थ्य और समर्पण से और बेहतर कर सकते है। अप्रत्याशित के फल को प्रभु इच्छा को समर्पित कर सकते हैं। इससे मन संतुष्ट और प्रसन्न रह सकता है।इस लिये दिनचर्या को सामान्य तरीके से जियें। चाहे उसमें सिद्धहस्तता हो या अचानक आई बाध्यता..........!!
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