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Showing posts from September, 2021

सहयोग ही वास्तविक बल

सुनहरी सुबह रसभरी शाम

ग़लत दोस्ती और वहशियत का नाता भाग -2

अमानवीयता की हद तक पशुता

तेरे बिना मेरी सुबह

पुरुष की व्यथा

बन्धन आखिर ऐसे क्यों

सघन वन और सीते की वेदना

गलत दोस्ती और वहशियत का नाता

खिड़कियां भले ना खोलो

कुछ कहने को रुकते तेरे अधर

क्या देख रही मुस्कुरा कर ❤️

इंसान होने के गुण

चश्मे का नंबर बदलिए

तेरी पायल