गलत दोस्ती और वहशियत का नाता
ग़लत दोस्ती और वहशियत का नाता......!! (भाग - 1) •~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~
मोनू एक खूबसूरत लड़का था। अच्छे और रुतबेदार घर का। धन और शख्सियत से सम्पन्न । भरा पूरा परिवार...माता पिता और एक प्यारी सी छोटी बहन । सभी खुशी खुशी रहते थे। लड़के की घर से बाहर भी एक दुनिया थी जिसमें भी वो ख़ुश था। उसके बहुत से दोस्त भी थे जिनके साथ वो अच्छा समय गुजारता था। सभी बातों का सार ये है की सब ओर अच्छा ही अच्छा था। सब ख़ुश थे । तभी मोनू की मुलाकात एक लड़के से होती है जो शरीर और कद काठी से काफ़ी हृष्ट पुष्ट था ।
धीरे धीरे मोनू उस हमउम्र लड़के की ओर समलैंगिक आकर्षण में बंधने लगता है। उसके और अपने नाम का एक टैटू भी शरीर पर बनवा लेता है। वह लड़का भी उसके इस आकर्षण को महसूस करता है। तो वह उसे रोकने के बजाए और बढ़ावा देने लगता है और एक दिन उससे कहता है कि तू अगर लड़की होता तो मैं तुझसे तुरंत शादी कर लेता।
बस यही से घटना में वह मोड़ आता है जिसका अंजाम बेहद बुरा हुआ। मोनू ने घर वालों को पैसे देने का दबाव बनाया की वह विदेश जा कर लिंग परिवर्तन करवा सके। परिवार ने इसका विरोध किया। क्योंकि वह परिवार का अकेला बेटा था। सभी ने अपने अपने तरीके से समझाने की कोशिश की। पर परिवार की हर कोशिश पर उसका वह दोस्त मोनू को sexually fetishized करके mold कर लेता था कि मैं और तू साथ विदेश जाएंगे । तू बदल कर लड़की बन जायेगा तो हम वही शादी करके बस जाएंगे वगैरह वगैरह। परिवार ने बहुत समझाने की कोशिश की। पर हर प्रयत्न बेकार साबित हुआ । क्योंकि मोनू पूरी तरह से उस दोस्त की गिरफ्त में था। अंततः वही हुआ। बहन का जन्मदिन मनाने के लिए ननिहाल से नानी मामा भी आये थे। जन्मदिन ख़ूब धूमधाम से मनाया गया। सबने ख़ूब खुशी जाहिर की। पर एक दो दिन बाद ही मोनू एक पिस्तौल लेकर आया और माँ ,बाप ,बहन नानी व मामा को गोलियों भून दिया। एक साथ उस भरे पूरे घर से पाँच अर्थियां निकली। शायद आप सोच रहे कि ये एक फिल्मी कहानी है या मनगढ़ंत किस्सा। पर नहीं ये सच और हाल में हुई उत्तर प्रदेश के रोहतक जिले की एक घटना है। और अभी वो लड़का मोनू जेल में है। जबकि इस घटना के होने का मुख्य कारण आज़ाद है। आजकल के बच्चे अपने दोस्तों को इतनी अहमियत देने लगे हैं कि उनके आगे माँ बाप परिवार भी उनको बेकार लगने लगा है। क्या मिला उसे , अब वह पूरी जिंदगी जेल में काट कर क्या सुख भोगेगा...जबकि पिता के प्यार का ये सबूत है कि उसने अपने 20 साल के बेटे की खुशी के लिए होंडा कार और आई फ़ोन खरीद कर दे दिया था। सभी बेहद प्यार करते थे। बहन अपने भाई को हर साल राखी बांधती थी। मां उसे कलेजे का टुकड़ा मानती थी। पर सब कहीं बेमानी हो गया। हाथ नहीं कांपे एक साथ गोलियां दाग कर सबको मौत देने में। यही है आजकल के युवा और उनकी प्रगतिशील सोच। जिसमें माँ बाप सिर्फ उगाही के वास्ते ATM बन कर रह गए हैं। शर्म है ऐसी पीढ़ी पर और उनकी विकसित सोच पर...........!!
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