ईश्वर को देखा है क्या ? ?
ईश्वर को देखा है क्या....!! ••••••••••••••••••••••••••
चलिए आज एक बहुत आसान लेकिन मुश्किल प्रतीत होता हुआ सवाल पूछती हूँ। क्या आपने ईश्वर को देखा है ...? ? आप सब का जवाब होगा नहीं...क्योंकि हम उसकी शक्तियों को , रचनाओं को तो महसूस करते हैं देखते हैं पर उसे बनाने वाले को कभी नहीं देखा.....तो चलिए आज हम अपनी जिंदगी के लम्हों में से ईश्वर को देखते हैं........ अब कुछ सवालों के जरिये ईश्वर को जानने की कोशिश करते हैं .....
1- साँस लेते हुए जो ऑक्सीजन हम ग्रहण कर रहे क्या वह ईश्वर नहीं है .....? ?
2- क्या जब भयंकर प्यास लगी हो और पानी की दो घूंट गले को तृप्त कर दे वह ईश्वर नहीं है.....? ?
3- खेतों में जो लहलहाते हुए अनाज की फसल है वह ईश्वर नहीं , जो हमारी भूख शान्त करती है...? ?
4- बहता हुआ और धरा के नीचे का जल जो धरती को मृदु रख रहा वह ईश्वर नहीं है...? ?
5- दर्द में परिवार या अभिभावकों का सहला कर आराम महसूस करवाना ईश्वर नहीं है....? ?
6- हमारी आंखों की ज्योति जो दुनिया देखने का माध्यम है क्या वह ईश्वरीय नहीं है...? ?
7-किसी बच्चे की भोली मुस्कान जो मन खुश कर देती है क्या वह ईश्वर नहीं है ....? ?
8- कड़कड़ाती हुई हाड़ कपांती हुई ठंड में सूर्य की गर्म किरणें क्या ईश्वर नहीं है...? ?
9- तपती धूप से बेहाल होने पर छाया की अनुभूति क्या ईश्वर नहीं है... ? ?
अगर देखें तो इस तरह हमारे आस पास ही अनेकों रूप में वह ईश्वर मौजूद है जिसके दुम पर हम जी रहे हैं। जिस ईश्वर ने ये सब बना के उसकी महत्ता बता कर हमें उसके भरोसे जीने के लिए काबिल बना दिया । तो हमारा भी फ़र्ज़ है कि हम उसकी उन कृतियों को ईश्वर समझ कर मान सम्मान दें ।जिससे बदले में वह हमें सुख दें। ईश्वर हमारे साथ हमारे पास इन्हीं रूपों में मौजूद है और हम उसे चित्रों में , इमारतों में ढूंढते हैं। पूजते हैं।
छोड़िए और अपने पास के साथ के ईश्वर को सम्मान देना शुरू कीजिए वो आसमान में बैठा ईश्वर स्वतः ही प्रसन्न हो जाएगा।
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