नया साल मुबारक हो
नया साल मुबारक हो......!!•••••••••••••••••••••••••••
नया साल मुबारक हो....
नया साल मुबारक हो....
ये चाह है....? ?
इच्छा है....? ?
या सपना है...? ?
मुझे पूछना है तुमसे बस...!!
पूछना है...कि
नया साल मुबारक होने के
कितने कारण बचा रखे है तुमने
क्या तुम......? ? ?
किसी फूल को सूंघ कर सुगंधित हुए पिछले साल ?
बहती हुई नदी के साथ बहे कभी ?
पहाड़ को देख एक पहाड़ भीतर भी मह्सूस हुआ ?
पूरा चाँद देखकर महबूब से बतियाये कुछ ?
खेलते हुए बच्चे देख क्या खेलने को मचले तुम्हारे पाँव ?
मां के संग बैठकर घूमी और देखी उसकी दुनिया ?
पिता संग खेली शतरंज सीप या लूडो ?
आसमान में देखा रंगभरा इंद्रधनुष ?
अपने बच्चों को दिखाई आकाश गंगा ?
काटी पतंग, कटवाई डोर ?
पिटते किसी मजलूम को देख कर क्रोध आया ?
निजाम की चिरौरी से फुरसत रही पिछले बरस ?
अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी ?
घृणा की विरासत छोड़े जा रहे ये सोचा ?
फिजा में नफ़रत बोई जा रही ये महसूस किया ?
भई सिर्फ पूछना है
जिंदा रहे क्या पिछले साल ?
अगर हाँ......
तो नया साल मुबारक ही रहेगा
जिंदा रहना बस इस बरस भी
क्योंकि तुम्हारे जिंदा रहने से बहुत कुछ जिंदा रह सकेगा।
साभार : वीरेंदर भाटिया
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