अँधेरे और क्रोध की सकारात्मक समझ
अंधेरे और क्रोध की सकारात्मक समझ : ••••••••••••••••••••••••••••••••
हम सभी के मन में ये धारणा बनी है कि अंधेरा और क्रोध दोनों ही नकारात्मक चीजें हैं। जिनका जीवन में ना होना ही जीवन के लिए सही है। ये धारणा हमारे शास्त्रों और ग्रंथों ने नहीं बनाई। बल्कि पुरातन काल से चली आ रही कुछ परम्पराओं और रूढ़िवादिता ने बनाई है।
सही और गलत के बीच एक बिंदु होता है जिससे वह अलग-अलग होते हैं। उसी बिंदु को अंधियारा माना जा सकता है। पर क्या कभी ये सोचा गया कि उस बिंदु से अगर सही की तरफ गए तो उजाला मिलता है और गलत की तरफ गए तो अंधेरा...इसका दूसरा पहलू देखें ,कि दुनिया गोल है ये भी सत्य है। वही अंधेरा प्रकाश को पाने की जिद में गलत को पुनः सही करने को प्रेरित करता है। अर्थात अंधेरा असल में अंधेरा नहीं बस प्रकाश की अनुपस्थिति है जिसे हम ही अपने प्रयास से पुनः प्रकाश से भर सकते हैं। सूर्य भी इतने प्रकाश के बीच रहता है कि उसकी स्थिति भी चौधियाने जैसी ही होती होगी। जिसमें प्रकाश की अधिकता के पीछे कुछ भी ना दिखने वाला अंधियारा है। पर फिर भी हम सूर्य को प्रकाश पुंज मानते हैं। इसलिए ये एक सीढ़ी है जो अंधेरे से धुंधलके और फिर धुँधलके से उजियारे की ओर जाती है।
अब क्रोध को परिभाषित करते हैं। क्रोध सामान्यतया विरोध प्रकट करने की मानसिक अवस्था है। यह विरोध असहमति दर्शाने के लिए शारीरिक, मनोवैज्ञानिक या व्यवहारिक प्रतिक्रिया के रूप में सामने आता है। सामान्यतः क्रोध को लोग destructive के रूप में समझते हैं पर क्रोध की तेजी और उस की आग को बस क्षण भर के अडिग निर्णय से असंख्य संभावनाओं में बदल सकते हैं। क्योंकि उस समय मन सिर्फ उस स्थिति को परिवर्तित करने के लिए उद्दात होता है। हमेशा से बस यही सिखाया गया कि गुस्सा मत करो पर क्या कभी ये बताया गया कि क्रोध को इस्तेमाल कैसे करो...!! शरीर की अवस्था का उस खास समय में कैसे लाभ उठाया जाए। क्रोध को एक छुरी की तरह समझा जाए जिसका एक सिरा बेहद पैना जबकि दूसरा सिरा हत्थे के रूप में होता है। जब गलत तरफ से पकड़ने का प्रयास करेंगे तो हाथ कटना तय है पर जब सही तरफ हत्थे से पकड़ेंगे तो वही एक औजार के रूप में रसोई की शान बन जाता है।
क्रोध ईश्वर को भी आता है यह हम सुनते रहते है। पर उनका क्रोध constructive होता है जबकि हम अपने क्रोध में खुद को जलाते हैं। क्रोध बहुत कुछ बदलने की ताकत रखता है बस उसे channelise करने की जरूरत है।
इसलिए क्रोध और अंधेरा दोनों ही जीवन के अहम हिस्से हैं। जिनकी उपस्थिति ही हमें उजाले और शांति की स्थिति का महत्व बताती है।
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