आत्ममुगद्धता vs स्वप्रेम

 आत्ममुगद्धता VS स्वप्रेम ••••••••••••••••••••••••••

क्या आप का भी सोचना यही है कि जो व्यक्ति स्वप्रेम या सेल्फलव को प्राथमिकता देता है वह आत्ममुग्ध और घमंडी  होता है...? ? 

इसके लिए पहले self love और आत्म मुग्धता में अंतर को समझना होगा...!!

सबसे पहले आत्ममुगद्धता को सही तरीके से समझा जाये । इस स्थिति में व्यक्ति खुद को इस कदर पसंद करने लगता है कि सर्वप्रथम तो उसे अपनी कमियों का अहसास होना बंद हो जाता है। दूसरे वह आत्ममुग्धता के कारण खुद को सर्वेसर्वा समझने लगता है। आत्ममुगद्धता एक विकार है जो सर पर चढ़ कर व्यक्ति को धरातल से अलग कर देता है। अर्थात व्यक्ति हवा में उड़ने लगता है क्योंकि वह स्वयं को सर्वश्रेष्ठ, अतिज्ञानी, सर्वप्रिय और असाधारण मानने लगता है। और यही भावना उसका अहंकार बनने लगती है। 

अब दूसरी तरफ स्वप्रेम का विश्लेषण करते हैं। स्वप्रेम या  self love ऐसी स्थिति है जिसमें हम स्वयं को तमाम खामियों और कमियों के साथ भी praise करते हैं और ये जानते हैं कि ये कमियां हम खुद ही दूर करके और बेहतर बनने के लिए हर समय प्रयासरत हैं। हर कोई perfect नहीं होता। पर अपनी कमियों को perfection में बदलने की ही प्रक्रिया स्वप्रेम या  self love है। ये self love व्यक्तित्व को वह मजबूती प्रदान करता है जिसमें कोई किसी भी मंच पर ख़ुद को प्रस्तुत करने का हौसला पाता है। स्वप्रेम में व्यक्ति अपना हर जगह गुणगान नहीं करता। अपितु एकांत में अपने व्यक्तित्व को खुशी खुशी अपनाने की बात खुद से ही करता है।ख़ुद की प्रंशसा खुद से ही करना, अपने लिए अतिरिक्त प्रयास करना, अपने लिए व्यक्तिगत समय निकालना और अपनी कमियों के आंकलन करके हर क्षण उसे सुधारने का प्रयास करना होता है।

ईश्वर ने हर किसी को अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना समझकर बनाया है। कुछ ख़ास गुण और विशेषताओं के साथ। पर जब कोई अपने व्यक्तित्व को कमतर समझता है तब वह उन विशेषताओं की अनदेखी करता है। कोई भी सिद्धि पहले कच्ची ही होती है उसे मजबूत होने के लिए पकना पड़ता है और स्वप्रेम उस भट्टी की तरह है जिसमें हमारी खूबियां और विशेषताएं पककर ठोस बनती हैं । 

इसलिए स्वप्रेम को एक नैसर्गिक गुण की तरह अपनाना चाहिए। लेकिन उसके लिए सबसे पहले उसका आत्ममुगद्धता का अंतर समझकर उसके सही स्वरूप को आत्मसात करना चाहिए।  अतः स्वप्रेमी बनना ईश्वरीय कृति का सम्मान है जबकि आत्ममुग्ध बनना उसकी कृती की अवमानना ...!!

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