आभार और कृतज्ञता आवश्यक है
आभार और कृतज्ञता आवश्यक है ....!! ••••••••••••••••••••••••••••
जीवन परिस्थितियों से मिलकर बना है और ये परिस्थितियां स्वयं नहीं बनती कुछ हम, कुछ समाज और कुछ हमारी किस्मत निर्धारित करती है। सदैव सब कुछ हमारे अनुसार हो ये भी सम्भव नहीं । क्योंकि एक कथन सत्य है कि यदि हमारे मन की हो तो "अच्छा" पर यदि हमारे मन की ना हो तो "बहुत बहुत अच्छा" क्योंकि तब वह परमात्मा के मन की होती है। और परमात्मा कभी भी किसी का अहित नहीं चाहते।
Life का एक बहुत छोटा सा पर महत्वपूर्ण gesture है कि हम अपने जीवन की हर चीज़ के लिए आभारी रहें। ये आभार ब्रमांड के प्रति, परमात्मा के प्रति, अपने आस पास के लोगों के प्रति, जीवन में अर्जित उपलब्धियों के प्रति, अपने प्रियजनों के प्रति, उपभोग की जा रही प्रकृति के प्रति होना ही चाहिए। क्योंकि जो कुछ भी हमें मिल रहा जरूरी नहीं कि वह हमारी क़िस्मत में नियत है। वह इसलिए हांसिल हो रहा कि हम उन तमाम चीजों के लिए भी आभारी हैं जो हमें किसी कारणवश नहीं मिली। वह कारण परमात्मा की इच्छा ही हो सकती है। क्या पता वह चीज़ हांसिल होने के बाद हमें खुशी कम बल्कि दुख ज्यादा मिल जाये...!! इसीलिए उसको हमें मिलने का समय परमात्मा ने कुछ और निर्धारित किया है। ये आभार या कृतज्ञता की सोच जीवन को आश्चर्यजनक रूप से खूबसूरत बना सकती है। इसके सकारात्मक परिणाम ये होंगे कि एक तो हम संतुष्टि के उस लेवल पर रहेंगे। जहां चीजों का आना या जाना हमें कम प्रभावित करेगा। दूसरे कृतज्ञ होने से हम हर उस चीज़ की अहमियत औरअधिक महसूस करने लगेंगे जो हमें मिली है।
आभारी या कृतज्ञ होना सिर्फ दूसरों को ही नहीं बल्कि स्वयं को भी संतुलित रखता है। और संतुलन ही जीवन का उद्देश्य है।
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