प्रस्तुतीकरण का प्रभाव !
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एक बहुत ही सामान्य सा विषय पर इतना महवपूर्ण की पर जीवन के सभी निर्णयों और रिश्तों का दारोमदार उसी पर टिका रहता है। अपनी बात को कहने का तरीका ……… हम अपने पुरे दिन में सैकड़ों बातें कहते और सुनते हैं। सभी से हमारा संपर्क हमारी उनकी बातों के जरिये ही होता है। कुछ वो कहते हैं तब हम सुनते हैं और जब हम कुछ कहते हैं तब वह सुनते हैं। इसी से अपनी भावनाएं और विचारों का आदान प्रदान होता रहता हैं। हमारी कोशिश रहती है की हम अच्छा सुने और अच्छा कहे। पर परिस्थितियां कब क्या कहलवा दें ये पता नहीं होता। लेकिन इन सब के बीच हम एक छोटी सी बात ये कभी कभी भूल जाते हैं कि हम जो भी कहते है और जिसे दूसरे सुनते हैं वह बात कहने का हमारा अंदाज उसे अच्छा या बुरा बना सकता है। हो सकता है कि कोई बात हमने अच्छी कही हो पर उसका प्रस्तुतीकरण गलत हो तो वह अच्छी बात भी बुरी बन कर हमें दूसरों की नजरों में बुरा बना देती है। हम बाद में ये सोचते रह जाते हैं कि हमने ऐसा क्या कह दिया जो दूसरे को बुरा लग गया।
इसी से जुड़ा अकबर बीरबल का एक
किस्सा याद आया। .......... एक महान ज्योतिषी अकबर के दरबार में आया राजा ने उसे अपना हाथ दिखाया। ज्योतिषी अत्यंत प्रसन्न हुआ और बोला कि राजन आप की आयु उत्तम है पर आप को अपने सगे सम्बन्धियों की मृत्यु अपनी आँखों से देखनी होगी क्योंकि वह सभी आप के सामने ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। यह सुन अकबर बहुत नाराज हुए और ज्योतिषी को दरबार से और राज्य से बाहर निकालने का हुकुम सुना दिया। ज्योतिषी दुखी हुआ और बीरबल के पास गया। उसने ये कहा की उसने जो देखा वही सत्य कहा। ऐसे में उससे गलती कहाँ हुई ? बीरबल बोले तूने सत्य तो कहा पर गलत तरीके से उसे राजा के सामने रखा। अब उन्होंने उसे समझाया कि एक बार फिर वह वेष बदल कर राजा के पास जाए और ये कहे। वह पुनः राजा के पास गया और राजा के हाथ दिखने पर उसने कहा की राजन आप की आयु उत्तम है। आप अपने सगे सम्बधियों
की तुलना में अच्छी और लम्बी उम्र का वरदान प्राप्त कर के आये है। खुशहाल और स्वस्थ होकर अपने सगे सम्बन्धियों से ज्यादा जिंदगी
जिएंगे। राजा ये भविष्वाणी सुन कर अत्यंत प्रसन्न हुआ। और उस ज्योतिष को बहुत सारा धन धान्य दे कर विदा किया। यही है अपनी बात कहने और सामने रखने का तरीका। इस लिए कोई भी बात कहने से पहले उसे सोच कर इस तरह से प्रस्तुती के लायक बना दें की सामने वाला सुनते
ही राजी हो जाए। हमारा अच्छा प्रयास हमारे सभी अपनों को और हमारे करीब और प्रिय बना कर रखेगा।
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एक बहुत ही सामान्य सा विषय पर इतना महवपूर्ण की पर जीवन के सभी निर्णयों और रिश्तों का दारोमदार उसी पर टिका रहता है। अपनी बात को कहने का तरीका ……… हम अपने पुरे दिन में सैकड़ों बातें कहते और सुनते हैं। सभी से हमारा संपर्क हमारी उनकी बातों के जरिये ही होता है। कुछ वो कहते हैं तब हम सुनते हैं और जब हम कुछ कहते हैं तब वह सुनते हैं। इसी से अपनी भावनाएं और विचारों का आदान प्रदान होता रहता हैं। हमारी कोशिश रहती है की हम अच्छा सुने और अच्छा कहे। पर परिस्थितियां कब क्या कहलवा दें ये पता नहीं होता। लेकिन इन सब के बीच हम एक छोटी सी बात ये कभी कभी भूल जाते हैं कि हम जो भी कहते है और जिसे दूसरे सुनते हैं वह बात कहने का हमारा अंदाज उसे अच्छा या बुरा बना सकता है। हो सकता है कि कोई बात हमने अच्छी कही हो पर उसका प्रस्तुतीकरण गलत हो तो वह अच्छी बात भी बुरी बन कर हमें दूसरों की नजरों में बुरा बना देती है। हम बाद में ये सोचते रह जाते हैं कि हमने ऐसा क्या कह दिया जो दूसरे को बुरा लग गया।
इसी से जुड़ा अकबर बीरबल का एक
किस्सा याद आया। .......... एक महान ज्योतिषी अकबर के दरबार में आया राजा ने उसे अपना हाथ दिखाया। ज्योतिषी अत्यंत प्रसन्न हुआ और बोला कि राजन आप की आयु उत्तम है पर आप को अपने सगे सम्बन्धियों की मृत्यु अपनी आँखों से देखनी होगी क्योंकि वह सभी आप के सामने ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। यह सुन अकबर बहुत नाराज हुए और ज्योतिषी को दरबार से और राज्य से बाहर निकालने का हुकुम सुना दिया। ज्योतिषी दुखी हुआ और बीरबल के पास गया। उसने ये कहा की उसने जो देखा वही सत्य कहा। ऐसे में उससे गलती कहाँ हुई ? बीरबल बोले तूने सत्य तो कहा पर गलत तरीके से उसे राजा के सामने रखा। अब उन्होंने उसे समझाया कि एक बार फिर वह वेष बदल कर राजा के पास जाए और ये कहे। वह पुनः राजा के पास गया और राजा के हाथ दिखने पर उसने कहा की राजन आप की आयु उत्तम है। आप अपने सगे सम्बधियों
की तुलना में अच्छी और लम्बी उम्र का वरदान प्राप्त कर के आये है। खुशहाल और स्वस्थ होकर अपने सगे सम्बन्धियों से ज्यादा जिंदगी
जिएंगे। राजा ये भविष्वाणी सुन कर अत्यंत प्रसन्न हुआ। और उस ज्योतिष को बहुत सारा धन धान्य दे कर विदा किया। यही है अपनी बात कहने और सामने रखने का तरीका। इस लिए कोई भी बात कहने से पहले उसे सोच कर इस तरह से प्रस्तुती के लायक बना दें की सामने वाला सुनते
ही राजी हो जाए। हमारा अच्छा प्रयास हमारे सभी अपनों को और हमारे करीब और प्रिय बना कर रखेगा।
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