सहिषुण्ता बनाम उग्रता ...........! 
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असहिषुण्ता के क्या मायने है ? आज जो विषय हिंदुस्तान के लिए बवाल का कारण बना हुआ है उसको सही मायनों में कोई समझता या अपनाता है क्या ? हम एक स्वतंत्र देश कर नागरिक हैं और हमारे सविंधान के अनुसार हमें वह सारी आजादी प्राप्त है जो कि हमे हमारी मर्जी से जीने के बहुत सारे हक़ देती है। सहिष्णु का अर्थ है सही मायनों में सहनशीलता ,  क्षमादान , उदार आदि  और मेरा ऐसा मानना है कि भारत को एक सहिष्णु देश माना जा सकता है। न जाने कितने ही आघातों को सहने के बाद भी उसने सहनशीलता दिखाते हुए कभी भी किसी दूसरे देश पर अनायास ही पलटवार नहीं किया है। 
                            पर यहाँ रहने वाले सभी भारतीय भी सहिष्णु हैं ये एक विचारणीय  विषय है। क्योंकि अधिकांश मामलों में ऐसा देखने को आता है कि किसी क्रिया की प्रतिक्रिया में हम कभी भी पीछे नहीं रहते। किसी ने एक कहा तो हमने चार सुना दी। किसी से सड़क पर हलकी सी भिड़ंत हो गयी तो हमने सरेआम उससे लड़ाई ही कर ली। आज हमने कितनी सहन शीलता रह गयी है इस के लिए एक छोटा सा उदाहरण ही देख ले की बच्चों की लड़ाई में हम बड़े उलझ कर खुद ही लड़ बैठते हैं। हम क्यों कहते है कि हम सहनशील हैं जबकि कही से भी यह देखने को नहीं मिलता।आज छोटी से छोटी  बात भी गंभीर परिणामों को जन्म दे देती है। सड़क पर ,घर में , दफ्तर में ,सार्वजनिक स्थलों में , सफर में कही भी हम सहनशील  नहीं रह पाते। आज रिश्तों से कहीं दूर जा कर एकल परिवार के चलन का कारण ही यही है कि हम अब सगे सम्बन्धियों में भी बात का बतंगड़ बनाने में यकीन करने लगे हैं। नहीं तो पहले पूरा परिवार दादा दादी , ताऊ ताई , चाचा चाची ,ननद , भाभी देवर देवरानी सभी के साथ रहकर जीवन गुजारते थे। साथ रहने से सहनशीलता बढ़ती है। सभी बच्चे बड़ो का साथ पाकर पनपते थे। तभी उनके अंदर आदर और साझीदारी का भाव जागृत होता था। अब बच्चे स्वकेंद्रित हो कर रह गए हैं। ये सब से पहला उदाहरण है सहनशीलता के समाप्त होने का।  
                             रही बात देश के सहिष्णु होने की तो सरकार में बैठे तमाम नेताओं और अधिकारीयों को अपनी जगह बचा कर रखने के लिए कुछ ऐसे फैसले लेने पडतें हैं जिस से तमाम जनता की सुरक्षा बनी रहे। इस फैसलों से उनका पद , उनकी कुर्सी ,और उनका रुतबा कायम रहता है। देश की सहिषुण्ता कुछ हद तक उन नियमों की भी देन है जो सविधान और संसद के गठजोड़ से कायम रहती है। फिर भी ये मानना सही होगा कि भारत एक सहिष्णु देश है।  जो अपनी सभी नीतियों और अवधारणाओं की इज्जत करता है।  

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