नव वर्ष की पूर्व संध्या पर ********************

एक बार मुड़ कर देखें जरूर , 
क्या पीछे छोड़ कर आये हैं ? 
कुछ अच्छा या बुरा ही सही ,
यादों में संग क्या लाएं है। 
          कैसे गुजरा वो वक्त हमारा ,
          आंकलन कर के देख ही लें। 
          पिछली यादों की अंगीठी पर ,
          आज की रोटी सेक ही लें। 
कल कैसा हो ये क्या जानें ,
कुछ अतीत की परछाईंयां हैं। 
तभी तो बेस्वाद रही रोटी ,
सिर्फ पेट भरने की भरपाई है। 
           एक धागे सा ये जीवन है ,
          जो पिरो रहा है क्षण क्षण को। 
          जो संयम से जी न पाये तो ,
          तैयार है भविष्य भक्षण को। 
आज सुधर ही जाएगा जो ,
आपदाओं से न कतराओगे। 
हौसले से आज जियोगे तो ,
अपना भविष्य बनाओगे। 
          गलती हम सब की आदत है ,
          हम आदम है कोई ईश नहीं। 
          पर सच्चा मानव वही है जो ,
          भावनाओं के वशिभूत नहीं। 





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