गर्व करने को एक 
बेटी चाहिये........ !



क्या कहूँ , सब सभी कुछ जानते हैं।  फिर भी न जाने क्यों हम अपनी धारणाओं , मानसिकताओं और विचारधाराओं को बदल नहीं पा रहे। क्या हमने कभी साक्षी या सिंधु जैसी एक बेटी की कामना की है नहीं  , क्या गर्भ में भ्रूण के विकसित होने पर हमने उसे ,  बच्ची पैर मार रही हैं या घूम रही है , कह कर पुकारा है ? नहीं ....... क्योंकि शायद हमें ये अहसास है कि ये बेटियां कभी भी बेटों की तरह ऊंचाइयां नहीं छू सकती , मजबूत नहीं हो सकती ,  हमें गर्व करने का मौका नहीं दे सकती , और किसी के खानदान का चिराग नहीं बन सकती। ये अतिशयोक्ति नहीं तो और क्या है। 
           आज मैं साक्षी और सिंधु जैसी एक बेटी की तमन्ना जरूर रखती हूँ जिन के नाम से मुझे जाना जाये। जो सार्वजनिक रूप से मुझे ये अहसास कराये कि मैंने बेटी को जन्म दे कर, उसे पाल पोसकर ,बड़ा करके  और उसके लालन पालन पर खर्च करके अपने जीवन की एक बड़ी कमाई पायी है। आज जरूरत है ऐसी बेटियों की जो बेटों पर भारी पड़ें तभी हम उनके नाम से खानदान का नाम रोशन मान पाएंगे।  ऐसी बेटियों को बनाने का जिम्मा हमारा है।  सिर्फ पैदा कर देने भर से बेटियाँ आगे नहीं बढ़ सकती।  उन्हें साथ लेकर हर उस मुश्किल राह से पहचान करनी होगी जो सिर्फ लड़कों के लिए बनाई गयी हैं।  हमारा साथ ही उन्हें मजबूत और लड़ने के लिए साहसी बनाएगा। 
                                  मुझे गर्व है की मैं भी दो बेटियों की माँ हूँ और मेरी बच्चियां भी अपने दम पर कोई ऐसा मुकाम हांसिल कर लेंगी जो उनके करीबी नाते रिश्तेदार लड़कों के लिए अबूझ पहेली जैसा हैं। माता पिता बनना तभी सार्थक होता है जब आप के बच्चे , खासकर बेटियां आप को गर्व का मौका दें। गर्व है कि मैं  भी माँ हूँ बेटी की , जैसे की आज सिंधु और साक्षी की माँ को है।  यह सत्य है की मेरी बच्ची उस मुकाम तक नहीं पहुंची पर वह आज अपने दम पर आगे बढ़ने और कुछ पाने का का हौसला ले कर चल रही हैं ये भी एक तरह की उपलब्धि हैं।  आमीन ........ ईश्वर उसे आगे बढ़ने और साहसी बने रहने की प्रेरणा दे। 

Comments