हैवानियत की इंतेहा.............! 


अभी हाल ही में समाचार पत्र में एक ऐसा समाचार पढ़ा जिससे पढ़ कर अपने समाज की गंदगी की एक वीभत्स तस्वीर सामने आयी। जिसे हमें सच तो मानना पड़ेगा पर उससे मुँह नहीं मोड़ सकते क्योंकि हम भी उसी समाज का हिस्सा हैं जहाँ इस तरह की घटनाएं होती हैं। मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर छतरपुर के एक गांव उर्दमऊ में तालाब के किनारे एक नवजात का शव मिलने से पुरे गांव में हो हल्ला हो रहा था। सभी उस शव की हकीकत जानना चाहते थे।  पुलिस ने छानबीन की तो सच सामने आया और वह सच कड़वा होने के साथ ही हद से ज्यादा घृणित भी था। 
                      

एक परिवार में माँ की मृत्यु के बाद 8 वर्षीय पुत्री अपने पिता के साथ रह रही थी। उसका अन्य कोई भी भाई बहन नहीं था। छोटी सी बच्ची पिता के काम पर चले जाने के बाद खेलती रहती। उसे ये आभास  भी नहीं था कि उसके साथ उसके घर में ही कुछ गलत हो रहा है। जिस पिता को वो अपना संरक्षक सझती थी वही रोज शराब के नशे में घर लौट कर अपनी पुत्री के साथ बलात्कार करता और फिर अपनी शारीरिक जरूरत पूरी हो बाद सो जाता। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा था।  बच्ची को भी ये आभास नहीं हुआ कि इस सम्बन्ध के कारण उसे गर्भ ठहर गया है।  इस हालात में भी उसका पिता उसे रोज इस्तेमाल करता।  वह तकलीफ में होने के बावजूद अपने पिता होने के कारण उसे कुछ भी नहीं कह पाती। एक दिन उस बच्ची ने एक बच्ची को जन्म दे दिया।  तब पिता के होश उड़ गए। लेकिन उस निकृष्ट इंसान की बदनीयती यही ख़त्म नहीं होती।  उसने उस जीवित बच्ची को एक कपडे में लपेटा और तालाब के किनारे फेंक कर आ गया । वह नवजात मर गया और उसके रास्ते का काँटा जो उसे आगे भी गलत काम करने से रोक सकता था ख़त्म हो गया। 
                               यह घटना सत्य है और पुलिस द्वारा उस पिता को फांसी की सजा भी सुना दी गयी। पर इन सब से परे हट कर हम उस बच्ची का दर्द महसूस करें तब सही मायनों में कार्यवाही होगी और इस दर्द से गुजरने के लिए एक बार अपनी बच्ची के चेहरे की और देखना पड़ेगा जो मासूम है अनजान है जिसे कुछ नहीं पता। उसकी और देख कर हमें महसूस करना पड़ेगा कि उस की अवस्था में क्या उसे इस स्थिति से अवगत कराना या समझना आसान है ? यही सच है जो आज भी पुरुष की गन्दी मानसिकता के कारण हम सब को देखना और भोगना पड़ रहा है।   
                                     

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