क्यों करते हो भरोसा कि ,
आईना हमेशा सच ही दिखाता है ?
जो ईश्वरीय कृती की असलियत को ,
मेकअप  की परतों से छुपाता है। (1)

क्यों करते हो भरोसा कि ,
आईना हमेशा सच ही दिखाता है ?
जैसा तुम खुद दिखना चाहते हो ,
वह तो बस वही दर्शाता है। (2 ) 

क्यों करते हो भरोसा कि ,
आईना हमेशा सच ही दिखाता है ?
मुस्कुराते हुए सामना करने पर जो ,
अंतरात्मा की पीड़ा हर बार छुपाता है। (3)

क्यों करते हो भरोसा कि ,
आईना हमेशा सच ही दिखाता है ?
जो खुद पारदर्शी नहीं है वह  ,
आर-पार की हक़ीक़त क्या बताता है। (4  )

क्यों करते हो भरोसा कि ,
आईना हमेशा सच ही दिखाता है ?
जो काली सफ़ेद हो चुकी तमन्नाओं को ,
लीपी-पुती दुनिया में रंगीन दिखाता है। (5)







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