हैवानियत की इन्तेहाँ .....!!!!
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आठ महीने की बच्ची के साथ भयावह दुष्कर्म , जब यह पढ़ कर जान कर ही रोंगटे खड़े हो जा रहें हैं । तब उस बच्ची की तकलीफ तो असहनीय ही होगी । धिक्कार है और थू है ऐसी आदमियत पर । अगर किसी दैवीय शक्ति के जरिये ये पहले ही समझ आ जाये कि बड़े होकर मेरा लड़का कुछ यही करेगा तो शायद मेरे जैसी हर माँ उसे कोख में ही मार डाले। छोटी सी बहुत ही मासूम वह बच्ची उस तकलीफ से कैसे गुजरी होगी । क्या उसका शरीर छलनी नहीं हो गया होगा ? बेचारी तो विरोध भी नही कर पाई होगी । सिर्फ और सिर्फ अपनी बचपना भरी आवाज में रो रही होगी । कुत्ता ही होगा वह आदमी जिसने हैवानियत का यह काम किया । आज वह बच्ची दिल्ली के AIMS अस्पताल में भर्ती है और अपने चिथड़े हुए अंगों को लिए जिंदगी के लिए जंग लड़ रही है । अब वह जीवन भर इस दर्द से मुक्त नही हो सकती । क्योंकि शरीर की खराबी उसे जिंदगी भर एक भयावह हादसे के तौर पर याद रहेगी ।
                         एक व्यक्ति को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है । पर अभी उसे दो चार साल चाटा पुचकारा जाएगा । यह जानने के लिए कि वाकई वह कड़वा है कि नहीं ...????  यही होता आया है  और आगे भी यही होता रहेगा । कभी कभी लगता है कि अब सरकार को खुलेआम वेश्यालयों को मंजूरी दे देनी चाहिए । अच्छा है रोजगार का एक रास्ता और खुलेगा । साथ ही ये ही एक कारगर तरीका है आदमी की बेइंतहां भूख शांत करने का । कम से कम उसे अपने बराबर का कोई तो मिलेगा जिसे वह रौंद सकें । इससे हजारों मासूम इस जलालत से बच जाएंगी । ईश्वर अब तो रहम खा इन मासूमों पर। आदमी को उसकी आदमियत की याद तो दिला पर उसके लिए उम्र के फासले को समझने की समझ दे । क्या कहूँ मैं खुद इस तरह की घटना से इतनी विक्षिप्त सी हो जाती हूँ । समझ ही नही आता कि कैसे उस दर्द जो लिखने ही हिम्मत जुटाऊँ । एक और कमाल यह देखने को मिला कि ऐसी हालत में उसके माता पिता ने भी उसे अधमरा मान कर छोड़ रखा है । वाह रे दुनिया , गजब है ।
                            एक इकनोमिक सर्वे के अनुसार करीब 21 मिलियन लड़कियाँ आवंछित हैं क्योंकि उन्होंने परिवारों में जन्म लिया जहाँ बेटों  की चाह थी। भारत अभी भी महिलाओं के लिए सम्मान से जीने वाले समाज बनने की प्रक्रिया से हजारों वर्ष दूर है। यहाँ हमेशा से ही औरत इस्तेमाल की गई। ये थालीयां बजा कर ख़ुशीयां मनाते हुए जन्मे बेटें यूँ ही बेटियों को कुचल कर , मसल कर , तोड़ कर , मरोड़ कर , अपनी जरूरत पूरी करते रहेंगे। धीरे धीरे वह ख़त्म होती रहेंगी।कोई कुछ नहीं कर सका न ही आगे कुछ हो सकेगा.......???? 

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