कोई चैलेंज जीवन से भी प्यारा ????...... 
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आजकल के युवाओं को जीवन एक मजाक से लगता है। तभी तो प्रचलन में आ रहें किसी भी चैलेंज के जाल में फंस जाते हैं।असल में उन्हें कोई फंसाता नहीं है। वह खुद ही खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाने और बताने के चक्कर में अपनी जान तक कि बाज़ी लगाने से बाज नहीं आते ।क्या वाकई जीवन इतना सस्ता है कि उन मुलाबलों के लिए प्रयास किया जाए जिसमें खतरा बहुत हो। समझना जरूरी है कि जिंदा रहोगे तभी दुनिया देखोगे। युवावस्था जोश और साहस का समय होता है। परंतु यह साहस और जोश,  होश और समझदारी के साथ चले तभी जीवन को बिना जोखिम में डाले सफलता मिलेगी।
    
आजकल एक किकी चैलेंज चलन में है। जिसमें सड़क पर चलती हुई गाड़ी के दरवाजे को खोल कर उतरना और फिर गाड़ी की रफ्तार के साथ सामंजस्य बिठाते हुए डांस करना है। साथ ही अपना ध्यान गाड़ी के अंदर से हो रही फोटोग्राफी पर भी रखना है। यह बहुत ज्यादा खतरनाक है। सड़क के खतरों को अनदेखा करते हुए डांस करना घायल कर सकता है। चोटिल कर सकता है। जान भी ले सकता है। 
           फिर भी करना है ,आखिर क्यों ???? इस तरह ये युवा क्या साबित करना चाह रहे हैं  ? और खुद को इस तरह कैसे सर्वश्रेष्ठ दिखाया जा सकता है ?? और किस को दिखाना चाहते है ?? ऐसे प्रश्नों के जवाब से संतुष्ट होकर जीवन बच सकता है। 
                                यदि वाकई जीवन मे चैलेंज लेकर खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाने की तलब है तो यह चैलेंज खुद को दीजिये। मैं अबुल कलाम बन कर दिखाऊंगा । मैं अपनी कोशिशों से मिसाल बन जाऊंगा। मैं परिस्थितियों से हार मान कर अपने लक्ष्य की ओर पीठ नहीं फेरूंगा । मैं वह बनूंगा जिस पर मेरे माता पिता को मुझे जन्म देने का गर्व हो। 


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