घरेलू कामकाज का रुपयोंमें मोल : 🙇
घरेलू कामकाज का रुपयों में मोल......!!
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एक महिला के काम को कभी भी तवज्जो नहीं दी जाती। चाहे वह घरेलू हो या कामकाजी। जबकि उसकी कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण का प्रभाव दोनों ही जगहों पर मिल जाता है। अब नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस द्वारा यह आंकलन करवाया जा रहा है कि एक घरेलू महिला घर के प्रत्येक कामों को कितना समय देती हैं। इससे एक तो काम काजी महिला और एक घरेलू महिला के कार्यों के बराबरी की विवेचन की जा सकेगी। दूसरा यह भी पता चलेगा की घर बैठने वाली महिला घर पर बैठी ही नहीं रहती। उसके घर पर रहने से ही दूसरों को वह तमाम सुविधाएँ बनी बनाई मिलती है जो की एक अकेले पुरुष को खरीदनी पड़ती है।
घरेलू महिला के काम का आंकलन इस लिए भी आवश्यक है कि इस काम के लिए उसे कोई मेहनताना नहीं दिया जाता। जबकि वह काम एक पूरे परिवार को सुख सुविधा देने के लिए किया जाता है। उससे कई लोग लाभान्वित होते हैं। दफ्तर में काम करके धनोपार्जन कर लेना ही उसकी अकेली जिम्मेदारी नहीं होती। दफ्तर के बाद घर आकर भी उसको ही घर के बाकि काम काज सँभालने का हक़ दिया गया है। ऐसे में दोहरे काम को निभाने का दायित्व आ जाता है।
यही सबसे बड़ा प्रश्न है। शायद यह सर्वे घरेलू महिलाओं के काम काज को कुछ महत्ता देकर उनके कार्यों को उस तनख्वाह की बराबरी देगा जो बाकि औरतें दफ्तर में जा कर करती हैं। कभी कभी ईश्वर से पूछने का मन करता है कि आखिर क्यों ....?? किस लिए.... ?? और कब तक....?? हम औरतें यूँ ही अपने किये का मोल बताने में असमर्थ रहेंगी। फिर भी यह एक शाश्वत सत्य है कई औरत के बिना इस सृष्टि की कल्पना व्यर्थ है।
घरेलू महिला के काम का आंकलन इस लिए भी आवश्यक है कि इस काम के लिए उसे कोई मेहनताना नहीं दिया जाता। जबकि वह काम एक पूरे परिवार को सुख सुविधा देने के लिए किया जाता है। उससे कई लोग लाभान्वित होते हैं। दफ्तर में काम करके धनोपार्जन कर लेना ही उसकी अकेली जिम्मेदारी नहीं होती। दफ्तर के बाद घर आकर भी उसको ही घर के बाकि काम काज सँभालने का हक़ दिया गया है। ऐसे में दोहरे काम को निभाने का दायित्व आ जाता है।
यही सबसे बड़ा प्रश्न है। शायद यह सर्वे घरेलू महिलाओं के काम काज को कुछ महत्ता देकर उनके कार्यों को उस तनख्वाह की बराबरी देगा जो बाकि औरतें दफ्तर में जा कर करती हैं। कभी कभी ईश्वर से पूछने का मन करता है कि आखिर क्यों ....?? किस लिए.... ?? और कब तक....?? हम औरतें यूँ ही अपने किये का मोल बताने में असमर्थ रहेंगी। फिर भी यह एक शाश्वत सत्य है कई औरत के बिना इस सृष्टि की कल्पना व्यर्थ है।
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