उसकी मर्जी ......!!
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जाने वो कैसे मुकद्दर की
किताब लिख देता है
साँसे गिनती की है ख्वाइशें
बेहिसाब लिख देता है
होगा वही जो हाथों की
लकीरों में खुदा हुआ है ,
क्यों पहले किस्मत की
किताब लिख देता है ?
सोचने से क्या होगा ,
सबकी नियति निर्धारित है
सवालों के पूछने से पहले ही
उनके जवाब लिख देता है।
हम नहीं जानते आगे क्या होगा ,
हम यूँ ही जीते रहें
इस के लिए आगे के पलों का
सबाब लिख देता है।
हमारी रातें कितनी भी
अंधेरी क्यों न हो जाएं
खुशी देने के वास्ते सुबह के उजाले
बेहिसाब लिख देता है।
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