मध्यम वर्ग की औकात ....😐
मध्यम वर्ग की औकात ...!!
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आखिर माध्यम वर्ग या मिडिल क्लास क्या है ? उसकी औक़ात क्या है ? और वह सरकार से किस लिहाज़ से अपने लिए नीतियों की उम्मीदें लगा कर बैठता है ?
मिडिल क्लास क्यों निम्न वर्ग और उच्च वर्ग दोनों के बीच में फँस कर अपना स्तर का एक बैलेंस बना कर चलने पर मजबूर रहता है। क्यों वह खुद के लिए वह नीतियों और रियायतों की मांग पर शर्मिंदा किया जाता है जबकि निम्न वर्ग गरीबी रेखा से नीचे होने के दर्द पर और उच्च वर्ग अपना धंधा और संबंद्धों को बनाये रखने के मुद्दे पर रियायतों की अपेक्षा कर लेता है। मिडिल क्लास वह कैटल क्लास है जिसे हर ओर से सिर्फ़ हांका जाता है। मिडिल क्लास वह नौकरीपेशा वर्ग है जो टैक्स पेयी होने की व्यथा इस लिए झेलता है क्योंकि उसकी नौकरी सरकारी निगाहों में रहती है। पारदर्शिता बनाये रखने के लिए उसे अपनी सब उपलब्द्धियाँ का हिसाब सरकार के समक्ष रखना होता है।
नामचीन अर्थशास्त्री विजय सरदाना जी कहते है कि मिडिल क्लास सरकार के लिए ना तो वोट बैंक है ना ही मनी बैंक ......मिडिल क्लास सिर्फ अपने ड्राइंग रूममे बैठ कर सरकारी नीतियों पर चर्चा भर कर सकता है। वह निम्नवर्ग की तरह विरोध पर सड़क पर उतर नहीं सकता। और उच्च वर्ग की तरह चुनावों में मदद के प्रलोभन के आधार पर अपने प्रभुत्व दिखा कर फ़ेवर पा सकता है। मिडिल क्लास हमेशा से दुखी रहा है आगे भी रहेगा क्योंकि एक स्टैंडर्ड बनाये रखने के पीछे उसके बड़े बड़े त्याग और साथ ही सरकारों की अपेक्षाओं पर भी खरे उतरने की जद्दोजहद उसे कभी भी स्थिर नहीं होने देती ।
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आखिर माध्यम वर्ग या मिडिल क्लास क्या है ? उसकी औक़ात क्या है ? और वह सरकार से किस लिहाज़ से अपने लिए नीतियों की उम्मीदें लगा कर बैठता है ?
मिडिल क्लास क्यों निम्न वर्ग और उच्च वर्ग दोनों के बीच में फँस कर अपना स्तर का एक बैलेंस बना कर चलने पर मजबूर रहता है। क्यों वह खुद के लिए वह नीतियों और रियायतों की मांग पर शर्मिंदा किया जाता है जबकि निम्न वर्ग गरीबी रेखा से नीचे होने के दर्द पर और उच्च वर्ग अपना धंधा और संबंद्धों को बनाये रखने के मुद्दे पर रियायतों की अपेक्षा कर लेता है। मिडिल क्लास वह कैटल क्लास है जिसे हर ओर से सिर्फ़ हांका जाता है। मिडिल क्लास वह नौकरीपेशा वर्ग है जो टैक्स पेयी होने की व्यथा इस लिए झेलता है क्योंकि उसकी नौकरी सरकारी निगाहों में रहती है। पारदर्शिता बनाये रखने के लिए उसे अपनी सब उपलब्द्धियाँ का हिसाब सरकार के समक्ष रखना होता है।
नामचीन अर्थशास्त्री विजय सरदाना जी कहते है कि मिडिल क्लास सरकार के लिए ना तो वोट बैंक है ना ही मनी बैंक ......मिडिल क्लास सिर्फ अपने ड्राइंग रूममे बैठ कर सरकारी नीतियों पर चर्चा भर कर सकता है। वह निम्नवर्ग की तरह विरोध पर सड़क पर उतर नहीं सकता। और उच्च वर्ग की तरह चुनावों में मदद के प्रलोभन के आधार पर अपने प्रभुत्व दिखा कर फ़ेवर पा सकता है। मिडिल क्लास हमेशा से दुखी रहा है आगे भी रहेगा क्योंकि एक स्टैंडर्ड बनाये रखने के पीछे उसके बड़े बड़े त्याग और साथ ही सरकारों की अपेक्षाओं पर भी खरे उतरने की जद्दोजहद उसे कभी भी स्थिर नहीं होने देती ।
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