चीखों , चिल्लाओं, भड़ास निकालो ...पर घुटो नहीं 😦
चीखों, चिल्लाओं भड़ास निकालो...🙄
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जब वी met फ़िल्म का वह सीन सभी को याद होगा जब शाहिद, करीना को उसके मन की दबी हुई भड़ास निकालने के लिए उसके भूतपूर्व मित्र की फ़ोटो फाड़ने और लगातार गालियाँ बक कर दिल हल्का करने की राय देता है। उसके कहेनुसार करीना वैसा ही करती है और अपने मन को हल्का महसूस करती है।
आज वही समय है। बदलती सामाजिक व्यवस्था और व्यस्तता में अकेले पड़े मन को इस lockdown ने और अकेला कर दिया। आज जिस चीज़ की सबसे ज़्यादा जरूरत है , वह है कहीं भी , कैसे भी खुल कर अपनी अपनी कहने की ...कोई सुने या ना सुने ....कमरा बन्द करो , कमरों की चीज़ों को सजीव मान कर सब कुछ उगल दो। घुटन ही अवसाद की सबसे बड़ी वजह है। चिल्लाओं और मन की सब बातें फ़ोन पर रिकॉर्ड करो। अपनी अभिव्यक्ति को सुनोगे तो सुकून महसूस करोगे। हर समय , हर स्थिति में तुम्हारे पास कोई तुम्हें सुनने के लिए मौजूद हो ये संभव नहीं , करीना की तरह फ़ोटो उठाओ , गालियाँ दो , अंट शंट जो भी मन मे आये कहो , पर शांत मत हो जाओ। घुटन कलेजा खा जाती है। शायद यही सुशांत ना कर सका। लोग तनाव में डायरी भी लिखते हैं पर उसमें सिर्फ़ मन खुलता है । लिखने से ज्यादा प्रभावी बोलना होता है। जिसमें सोच के साथ साथ हमारा शरीर भी साथ देता है।
हावर्ड यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च के जरिये ये पता करने की कोशिश कि सफल लोग किस तरह की मानसिकता के साथ चलते हुए सफल होते है। लगभग 70 साल की एक रिसर्च के अनुसार वह लोग अपने रिश्तों को संभालने और सहेजने में कायम हो सके जिससे उनके मन में गाँठे विकसित नहीं हो पाई । और वह अपने लक्ष्य की ओर केंद्रित होकर सोच सके। अर्थात मन को हल्का रखने के लिए अपने आस पास लोगों को रखो या फ़िर अकेले हो तो expressive बन जाओ। जैसे भी हो भड़ास निकालते रहो क्योंकि चिंता चिता के समान है।
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जब वी met फ़िल्म का वह सीन सभी को याद होगा जब शाहिद, करीना को उसके मन की दबी हुई भड़ास निकालने के लिए उसके भूतपूर्व मित्र की फ़ोटो फाड़ने और लगातार गालियाँ बक कर दिल हल्का करने की राय देता है। उसके कहेनुसार करीना वैसा ही करती है और अपने मन को हल्का महसूस करती है।
आज वही समय है। बदलती सामाजिक व्यवस्था और व्यस्तता में अकेले पड़े मन को इस lockdown ने और अकेला कर दिया। आज जिस चीज़ की सबसे ज़्यादा जरूरत है , वह है कहीं भी , कैसे भी खुल कर अपनी अपनी कहने की ...कोई सुने या ना सुने ....कमरा बन्द करो , कमरों की चीज़ों को सजीव मान कर सब कुछ उगल दो। घुटन ही अवसाद की सबसे बड़ी वजह है। चिल्लाओं और मन की सब बातें फ़ोन पर रिकॉर्ड करो। अपनी अभिव्यक्ति को सुनोगे तो सुकून महसूस करोगे। हर समय , हर स्थिति में तुम्हारे पास कोई तुम्हें सुनने के लिए मौजूद हो ये संभव नहीं , करीना की तरह फ़ोटो उठाओ , गालियाँ दो , अंट शंट जो भी मन मे आये कहो , पर शांत मत हो जाओ। घुटन कलेजा खा जाती है। शायद यही सुशांत ना कर सका। लोग तनाव में डायरी भी लिखते हैं पर उसमें सिर्फ़ मन खुलता है । लिखने से ज्यादा प्रभावी बोलना होता है। जिसमें सोच के साथ साथ हमारा शरीर भी साथ देता है।
हावर्ड यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च के जरिये ये पता करने की कोशिश कि सफल लोग किस तरह की मानसिकता के साथ चलते हुए सफल होते है। लगभग 70 साल की एक रिसर्च के अनुसार वह लोग अपने रिश्तों को संभालने और सहेजने में कायम हो सके जिससे उनके मन में गाँठे विकसित नहीं हो पाई । और वह अपने लक्ष्य की ओर केंद्रित होकर सोच सके। अर्थात मन को हल्का रखने के लिए अपने आस पास लोगों को रखो या फ़िर अकेले हो तो expressive बन जाओ। जैसे भी हो भड़ास निकालते रहो क्योंकि चिंता चिता के समान है।
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