क्या ख़याल होंगे जो मन मर गया ....😢

 शांत सा सुशांत ...अंततः !!

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क्या ख़याल होंगे जो मन मर गया

क्या भावना होगी जो जीवन डर गया,
अभी उम्र तो आगे बहुत सी पड़ी थी
कुछ तो अनसुलझे सवाल होंगे ,
जो अंततः जीवन अंत कर गया।
एक बार,बस एक बार बात तो करते
मन की पीड़ा बस यूं ही खुल कर कहते ,
हर सवाल का एक जवाब तो होता है
क्या है जो जुबाँ को चुप्पी में बंद कर गया?
ज़्यादा बोलना इतना भी बुरा नहीं है पर
जी हल्का करने को एक राजदार जरूरी है,
चुप्पी ओढ़ कर मुस्कुराते रहना सही नहीं 
क्या ये सच ही मन पर वार कर गया ?
सफलता वह नहीं जो आगे ही चलती रहे
पीछे चलने वाली तारीफें भी मायने रखती है
जिंदगी में हमारा अभिमूल्यन अन्य तय करते 
क्या स्वमूल्यांकन से हौसला हार गया ? 
शांत सा सुशांत धीर गंभीर बना रहा
सबने बस वो देखा जो परदे पर था ,
अंदर का ज़ख्म वह खुद ही ढो रहा था
क्या यही दर्द  कलेजे को तार तार कर गया।

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