ज़मीन पर बैठकर भोजन करने के लाभ

ज़मीन पर बैठकर भोजन करने के लाभ :                      ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~


पुरातन काल में जमीन पर बैठकर भोजन किया जाता था। उस समय ये डाइनिंग टेबल जैसी कोई व्यवस्था या प्रथा नहीं थी। जमीन पर बैठकर खाना खाते समय थाली के इर्दगिर्द जल आचमन करने का भी नियम हुआ करता था। जिसे प्रभु को भोजन पहले समर्पित करने से जोड़ कर देखते थे। पर उसका व्यज्ञानिक कारण थाली के इर्दगिर्द की  मिट्टी के धरातल को नम करना होता था जिससे थाली में धूल ना उड़ कर आये.... हमारे पुरखों ने जीवन को संतुलित रखने के जो भी नियम और प्रथाएं चलाई थी।उनके पीछे शरीर का स्वास्थ्य का और मन का संतुलन काम करता तहस। पर अब खुद को मॉडर्न दिखाने की चाह में हमने वो बहुत सी सोने सरीखी प्रथाएं गवां दी।  जमीन पर बैठकर खाना न सिर्फ हमारी संस्कृति का हिस्सा है बल्कि सेहत के लिए भी वैज्ञानिक आधार रखता है।

जानिए, जमीन पर बैठकर खाने के पांच बड़े फायदों के बारे में जो आपको यकीनन चौंकाएंगे।

1. पाचन के लिए फायदेमंद

जमीन पर जब खाते वक्त जब आप पालथी की अवस्था में बैठते हैं तो यह योग में सुखासन और पद्मासन का आसान होता है।

खाने के लिए जब आप आगे झुकते हैं और फिर सीधे होते हैं तो इस क्रिया के दौरान पेट की मांसपेशियों की कसरत होती है जिससे पेट के एसिड बनते हैं। इससे भोजन का पाचन अच्छी तरह होता है।

2. वजन घटाने में फायदेमंद

जमीन पर बैठकर खाने से वजन घटाने में मदद मिलती है। सुखासन में बैठने पर दिमाग केंद्रित और सक्रिय रहता है और नर्वस सिस्टम पेट भरने का सिग्नल पहले देता है। इससे आप ओवरडाइट से बचेंगे और वजन नियंत्रित होगा।

3. शरीर लचीला होता है

पद्मासन या सुखासन में बैठकर भोजन करने से लोवर बैक, पेल्विस, पेट के पास की मांसपेशियां मजबूत और लचीली होती हैं। इस अवस्था में मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग होती है जिससे शरीर का लचीलापन बना रहता है।

4. मुद्रा ठीक रखता है

जमीन पर बैठकर खाने से आपकी कमर सीधी रहती है और पॉश्चर बिल्कुल छीक होता है। कंधे व कमर में दर्द से दूर रखने के लिए भोजन करने का यह तरीका बिल्कुल ठीक है।

5. लंबी उम्र के लिए

यूरोपियन र्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी के शोध की मानें तो जमीन पर पद्मासन की मुद्रा में बैठकर भोजन करने वाले लोगों का जीवनकाल सामान्य की अपेक्षा 6.5 गुना अधिक होता है।

इसलिए थोड़ा प्राचीनता से जुड़ कर रहें तो सेहत जे साथ मन भी स्वस्थ रहेगा। जरूरी नहीं कि दुनिया की हर रेस में आगे निकलने की जुगत में हम अपनी व्यक्तिगत उपलब्द्धियाँ खो दें। जो एक सफल जीवन के लिए आवश्यक हैं।

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