पद का दुरुपयोग ....😣
पद का दुरुपयोग ………… !
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समस्या तब पैदा होती है जब जिस को जो भी कार्य सौंपा जाए वह उसे ईमानदारी से न करें और उसकी गरिमा को तहस नहस करने के लिए कुछ न कुछ अनुचित करता रहे। यदि कोई देश तरक्की न कर रहा हो और वहाँ बस अराजकता फैली हो। इसका मूल कारण यही है। एक सरकारी तंत्र में सभी विभागों के काम बंटे रहते हैं। व्यवस्था सुचारू रूप से तभी चलायमान रहेगी जब हर विभाग का हर बंदा अपने कार्य के प्रति ईमानदार हो और सही नियत से अपने कार्य को निपटाये। भारत में इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। सब अपने पद को अपनी सहूलियत के हिसाब से प्रयोग करते हैं। इस का ताजा उदाहरण प्रस्तुत है।
पुलिस विभाग का कार्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि उनकी की दी हुई सुरक्षा की छत्र छाया में समाँज का हर व्यक्ति सुकून से जी पता है। लेकिन इन दोनो घटनाओं में उन्होंने अपने पद की गरिमा को कुचल कर रख दिया। एक घटना में एक स्थान पर बाल विवाह रोकने के बजाये पुलिस ने अपनी निगरानी में बाल विवाह संपन्न करवाया। ताकि समाज के कुछ जागरूक लोग व्यवधान न डाल सके। दूसरी घटना में पुलिस ने एक युवती जो अपनी रिपोर्ट लिखवाने थाने पहुंची थी उसका सामूहिक बलात्कार किया। अब प्रश्न ये नहीं की पुलिस ने ऐसा क्यों किया ? प्रश्न ये है कि पीड़ित अब कहाँ जा कर फरियाद करें और फिर अगर वह स्वयं न्याय करें तो क्या यह पुलिस को मंजूर होगा। । क्योंकि सुनने वाला तो खुद ही भक्षक बन कर बैठा है। कोई भी देश या कोई भी समाज व्यवस्था के आधार पर हीचलता है । आज प्रगतिशील देशों में तरक्की और विकास के रास्ते इस लिए खुले हैं क्योंकि वहां के कर्मचारीयों की अपने कार्य के प्रति लगन और निष्ठां उन्हें अपने पथ से भटकने नहीं देती। आज अगर भारत भी तरक्की की राह पर आगे बढ़ना चाहता है तो सब से पहले जो भावना खुद में पैदा करनी है वह है मन की ईमानदारी। ………।
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समस्या तब पैदा होती है जब जिस को जो भी कार्य सौंपा जाए वह उसे ईमानदारी से न करें और उसकी गरिमा को तहस नहस करने के लिए कुछ न कुछ अनुचित करता रहे। यदि कोई देश तरक्की न कर रहा हो और वहाँ बस अराजकता फैली हो। इसका मूल कारण यही है। एक सरकारी तंत्र में सभी विभागों के काम बंटे रहते हैं। व्यवस्था सुचारू रूप से तभी चलायमान रहेगी जब हर विभाग का हर बंदा अपने कार्य के प्रति ईमानदार हो और सही नियत से अपने कार्य को निपटाये। भारत में इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। सब अपने पद को अपनी सहूलियत के हिसाब से प्रयोग करते हैं। इस का ताजा उदाहरण प्रस्तुत है।
पुलिस विभाग का कार्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि उनकी की दी हुई सुरक्षा की छत्र छाया में समाँज का हर व्यक्ति सुकून से जी पता है। लेकिन इन दोनो घटनाओं में उन्होंने अपने पद की गरिमा को कुचल कर रख दिया। एक घटना में एक स्थान पर बाल विवाह रोकने के बजाये पुलिस ने अपनी निगरानी में बाल विवाह संपन्न करवाया। ताकि समाज के कुछ जागरूक लोग व्यवधान न डाल सके। दूसरी घटना में पुलिस ने एक युवती जो अपनी रिपोर्ट लिखवाने थाने पहुंची थी उसका सामूहिक बलात्कार किया। अब प्रश्न ये नहीं की पुलिस ने ऐसा क्यों किया ? प्रश्न ये है कि पीड़ित अब कहाँ जा कर फरियाद करें और फिर अगर वह स्वयं न्याय करें तो क्या यह पुलिस को मंजूर होगा। । क्योंकि सुनने वाला तो खुद ही भक्षक बन कर बैठा है। कोई भी देश या कोई भी समाज व्यवस्था के आधार पर हीचलता है । आज प्रगतिशील देशों में तरक्की और विकास के रास्ते इस लिए खुले हैं क्योंकि वहां के कर्मचारीयों की अपने कार्य के प्रति लगन और निष्ठां उन्हें अपने पथ से भटकने नहीं देती। आज अगर भारत भी तरक्की की राह पर आगे बढ़ना चाहता है तो सब से पहले जो भावना खुद में पैदा करनी है वह है मन की ईमानदारी। ………।
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