क्या संभव है शिक्षा से नियत में बदलाव .....😑
क्या संभव है शिक्षा से नियत में बदलाव ……!
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कहते हैं शिक्षा मन के द्वार खोलती है। शिक्षा से उचित अनुचित , सही गलत का फ़र्क़ समझ आता है। एक अच्छी शिक्षा और फिर साथ में एक अच्छी नौकरी जीवन में स्थिरता लाती है। व्यक्ति की सोच सकारात्मक और प्रगतिशील बन जाती है। पर यदि हम इसे सही माने तो हमेशा ऐसा नहीं होता। हाल ही में राजस्थान के ही एक बड़े सरकारी अधिकारी ने जिस घटना को अंजाम दिया उसने ये दर्शा दिया कि कोई भी शिक्षा तब तक जीवन नहीं बदल सकती जब तक की इंसान मन से अच्छा और सच्चा न हो। वह सरकारी अधिकारी जो पद पर रहते हुए सबकी बेहतरी के लिए योजनाएं बनाने का कार्य करतें है क्या वह भी ऐसी घृणित सोच को अंजाम दे सकते हैं ? सिर्फ इस लिए कि उन्हें जो हांसिल है वह उन्हें पसंद नहीं। महत्वपूर्ण ये नहीं कि उसने अपनी पत्नी को मारा ,मुद्दा ये है कि एक पढ़े लिखे और सुसम्पन्न व्यक्ति से इस तरह की ओछी सोच और planing की उम्मीद क्या की जा सकती थी ? उस आला अधिकारी ने अपनी पत्नी को चलती कार से दरवाजा खुल कर गिर जाने पर उसकी मृत्यु को एक हादसे का नाम दिया। पर कहते है न कि सच कभी भी छुप नहीं सकता , इस सारी योजना का भांडाफोड़ उस मृतिका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हो गयी।
वाकया कुछ यूँ है कि एक बड़े सरकारी अधिकारी ने अपनी पत्नी की हत्या करने के लिए पहले तो उसे कुछ नशीला पदार्थ खिलाया। फिर उसे एक हैलीपैड पर ले गया जहाँ जादू टोने दूर करने के नाम से उसे भयंकर शारीरिक प्रताड़ना दी। फिर उसका अधमृत शरीर नमक डाल कर जमीन में दबा दिया। पर उस मृतिका के परिवार द्वारा पूछताछ के डर से उसे पुनः एक कार में रख कर कार तेजी से चला कर उसे चलती कार में दरवाजा खोल कर गिरा दिया। और इसे सड़क दुर्घटना का नाम दे दिया। खुद को सही साबित करने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति को बुला कर उसके साथ पत्नी को नजदीकी अस्पताल भी ले कर गया जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया। उसने इस पुरे केस को यही खत्म मान लिया और संतुष्ट हो गया। अब सार ये है कि उसने अपनी पत्नी को तो मार दिया पर क्या वह खुद को बचा पाया ? एक भरे पूरे जीवन और कैरियर के लिए उसने जो भी अथक प्रयास किये होंगे आज वह सब खत्म हो गए। शिक्षा की सार्थकता तब जाहिर होती है जब आप अपनी सोच को सकारात्मक रखते हुए कुछ creative करें। इस घटना का सबसे दुखद पहलु है एक अच्छे सरकारी अधिकारी और एक अच्छी शिक्षा का भविष्य गर्त में चले जाना जो शायद एक बेहतर मुकाम हांसिल कर सकता था .......
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कहते हैं शिक्षा मन के द्वार खोलती है। शिक्षा से उचित अनुचित , सही गलत का फ़र्क़ समझ आता है। एक अच्छी शिक्षा और फिर साथ में एक अच्छी नौकरी जीवन में स्थिरता लाती है। व्यक्ति की सोच सकारात्मक और प्रगतिशील बन जाती है। पर यदि हम इसे सही माने तो हमेशा ऐसा नहीं होता। हाल ही में राजस्थान के ही एक बड़े सरकारी अधिकारी ने जिस घटना को अंजाम दिया उसने ये दर्शा दिया कि कोई भी शिक्षा तब तक जीवन नहीं बदल सकती जब तक की इंसान मन से अच्छा और सच्चा न हो। वह सरकारी अधिकारी जो पद पर रहते हुए सबकी बेहतरी के लिए योजनाएं बनाने का कार्य करतें है क्या वह भी ऐसी घृणित सोच को अंजाम दे सकते हैं ? सिर्फ इस लिए कि उन्हें जो हांसिल है वह उन्हें पसंद नहीं। महत्वपूर्ण ये नहीं कि उसने अपनी पत्नी को मारा ,मुद्दा ये है कि एक पढ़े लिखे और सुसम्पन्न व्यक्ति से इस तरह की ओछी सोच और planing की उम्मीद क्या की जा सकती थी ? उस आला अधिकारी ने अपनी पत्नी को चलती कार से दरवाजा खुल कर गिर जाने पर उसकी मृत्यु को एक हादसे का नाम दिया। पर कहते है न कि सच कभी भी छुप नहीं सकता , इस सारी योजना का भांडाफोड़ उस मृतिका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हो गयी।
वाकया कुछ यूँ है कि एक बड़े सरकारी अधिकारी ने अपनी पत्नी की हत्या करने के लिए पहले तो उसे कुछ नशीला पदार्थ खिलाया। फिर उसे एक हैलीपैड पर ले गया जहाँ जादू टोने दूर करने के नाम से उसे भयंकर शारीरिक प्रताड़ना दी। फिर उसका अधमृत शरीर नमक डाल कर जमीन में दबा दिया। पर उस मृतिका के परिवार द्वारा पूछताछ के डर से उसे पुनः एक कार में रख कर कार तेजी से चला कर उसे चलती कार में दरवाजा खोल कर गिरा दिया। और इसे सड़क दुर्घटना का नाम दे दिया। खुद को सही साबित करने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति को बुला कर उसके साथ पत्नी को नजदीकी अस्पताल भी ले कर गया जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया। उसने इस पुरे केस को यही खत्म मान लिया और संतुष्ट हो गया। अब सार ये है कि उसने अपनी पत्नी को तो मार दिया पर क्या वह खुद को बचा पाया ? एक भरे पूरे जीवन और कैरियर के लिए उसने जो भी अथक प्रयास किये होंगे आज वह सब खत्म हो गए। शिक्षा की सार्थकता तब जाहिर होती है जब आप अपनी सोच को सकारात्मक रखते हुए कुछ creative करें। इस घटना का सबसे दुखद पहलु है एक अच्छे सरकारी अधिकारी और एक अच्छी शिक्षा का भविष्य गर्त में चले जाना जो शायद एक बेहतर मुकाम हांसिल कर सकता था .......
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