आदमियों की शक्ल में भेड़िये
आदमियों की शक्ल में भेड़िए :
••••••••••••••••••••••••
अब क्या ही कहें...क्या कुछ कहने से बाकी रह गया है ? ? जितना भी कहें हर बार लगता है कि कहने का कोई असर नहीं हो रहा, ज्यों का त्यों स्थिति बनी हुई है ।
क्या बलात्कार पुरुषों का पसन्दीदा शगल बनता जा रहा...क्या यदि female किसी भी उम्र की हो उसमें सिर्फ वासना का सुख देखा जाएगा ? ? एक तो इंटरनेट, रील, इंस्टा ने मारा तबाह कर रखा है। छोटे लड़के , बुजुर्ग, जवान हर किसी के पास साधन है मन को उकसाने के। फिर उसकी पूर्ति के लिए समान भी आसपास मिल जाता है
जोधपुर में ढाई साल की बच्ची के साथ एक दिन दो बार बलात्कार... क्या उस बच्ची के अंदर क्षमता थी ये सब सहने की ?? एक बार रात को 11 बजे फिर सुबह 3 बजे...इन दोनों बार में वह बच्ची बुरी तरह घायल हो गई। होंठों पर काटने के घाव, पीठ और घुटने पर गहरी खरोंचें , खून से लथपथ वह बच्ची एक मंदिर के चबूतरे पर सुबह मिली। डॉक्टर उसके घावों को देखकर हैरान रह गए। जिन पर सर्जरी करनी पड़ी।
●
●
घृणा होने लगती है जब ये सब जानने को मिलता है। आख़िर इतना वहशीपन लेकर कोई आम इंसान की तरह समाज में रहता कैसे है....!!
●
●
एक और दूसरी घटना में 11 वर्षीय बच्ची के साथ पड़ोसी नेपाली अधेड़ ने दुष्कर्म किया। उस बच्ची के मां बाप काम पर चले गए थे वह घर पर खाना बना रही थी। नमक मांगने के बहाने वह आया और बच्ची के साथ जबर्दस्ती की फिर भाग गया...
आखिर क्यों ये मासूमों को पुरुष निशाना बनाते हैं..क्योंकि ये विरोध नहीं कर पाती और इन्हें कुछ पता भी होता कि उनके साथ क्या हो रहा है...
औरत हूँ और शर्मिंदा हूँ क्योंकि ऐसी बच्चियों के दर्द खुद के शरीर पर महसूस करके दुःखी होती हूँ। धिक्कार है ऐसी पुरुष जाति पर जो औरत को सिर्फ़ गंदी नज़र से देखती है। बस में खड़ी औरत के वक्ष छूने , सड़क पर उन्हें स्पर्श करने या फिर उनके वस्त्र खींचने में जो मर्दानगी समझते है उन्हें ईश्वर ने पुरुषत्व दिया ही नहीं। वह सिर्फ भेड़िए है जो नोंचना जानते हैं। क्योंकि अगर पुरुषत्व होता तो उसके साथ औरत को protect करने का भी भाव रहता। हर परिस्थिति में हर मौके पर।
★★★★★★★★★★★★★★
Comments
Post a Comment