सर्वसुलभ साधन है छोटी बच्चियां !
सर्वसुलभ साधन है छोटी बच्चियाँ
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रोज पढ़ते रहिए और नई घटनाएं जानते रहिए। क्योंकि सबसे सुलभ साधन का दुरुपयोग होना बेहद ही आम बात है।
आज फ़िर एक 3.5 साल की बच्ची इसी कुकर्म का शिकार हुई और करने वाला एक होमगार्ड था। बच्ची घर के पास खेल रही थी। गुजरते हुए होमगार्ड की नज़र उस पर पड़ी। वह वापास गाड़ी घुमा कर बच्ची के पास आया और एक चबूतरे पर आड़ में बच्ची को गोद में बिठाकर अश्लीलता करने लगा। बच्ची अनजान कुछ समझ नहीं पा रही थी। तभी वहां से गुजरते हुए एक दूसरे व्यक्ति को शक हुआ कि ये व्यक्ति बच्ची के साथ कुछ गलत कर रहा। जब उस व्यक्ति ने होमगार्ड को नज़दीक आते देखा तो वहां से भाग गया। यदि वह व्यक्ति नोटिस नहीं करता तो यकीनन उस बच्ची के साथ पूरी तरह से गलत हो चुका होता।
क्या अब बेटियों को जन्म देने की सज़ा यही है कि उन पर हमेशा निगाह रखी जाए। उनकी आज़ादी खुलापन मस्ती बचपना सब खत्म करके उन पर सुरक्षा का पहरा लगा कर रखा जाए। ताकि वो आदमियों की गंदी नज़रों से बच सके। कब कौन आये जो अपनी गंदी भूख मिटाने के लिए एक साधन समझ रहा हो।
कहते हैं ना.......
जाके पैर ना फटे बिवाई।
वो क्या जाने पीर पराई।।
बस एक बार वो पीड़ा अपने शरीर पर महसूस करके देखा जाए कि छोटी सी बच्ची जिसका शरीर भी छोटा है, वो ये प्रताड़ना खुद पर कैसे सहती होगी....? ? जिसकी बालसुलभ उम्र को इस दर्द से कोई परिचय भी नहीं। कोई बड़ी लड़की तो समझ जाएं महसूस कर ले पर छोटी बच्ची...जिसे खेल झ रही हो वो उसे हद तक घायल कर जाए। तो शरीर के साथ उसकी आत्मा भी मर जाएगी।
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