वर्तमान सत्ता.....!!

 वर्तमान सत्ता......!!                   ••••••••••••••••••••••••

लाशों पर फ़लता-फ़ूलता व्यापार चाहिए ,

क़फ़न बेचता हूँ ,ख़रीददार चाहिए।।

चाहिए चंद बिकाऊ मीडिया हाउस ,

कुछ बिके हुए पत्रकार चाहिए।।

झूठ को भी आँखें मूँद सच मान लें ,

कुछ अंधे भक्त ,वफ़ादार चाहिए।।

देश की संपदा की लगा सकें बोली ,

कुछ ऐसे व्यापारी दोस्त तैयार चाहिए।।

हमसे करेगा कौन अस्पताल की बात ,

उनको तो सिर्फ़ धर्म और मज़हब का बुख़ार चाहिए।।

जो मर रहे हैं ,उनके लिए अफ़सोस कैसा ??

मौतों पर भी उत्सव तैयार चाहिए।।

जो अस्पतालों के बाहर हैं ,उन्हें पूछो ,

उन्हें बेड नहीं ,धर्मरक्षक सरकार चाहिए।।

मरता हो कोई कल ,मर जाए आज़ ,

हमको तो चुनाव ,कुंभ मेला बरक़रार चाहिए।।

अच्छे दिनों का चूरन ऐसा किया क़माल ,

सरकार नहीं ,उनको चौकीदार चाहिए।।

चौकीदार हर बार मिला चैन से सोता ,

उसको तो बस भाषण दमदार चाहिए।

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