सिस्टम की मजबूरियाँ ✋

 सिस्टम की मजबूरियाँ

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सिस्टम की मजबूरियाँ तो समझिए

अगर किसी अपने को दान देना है,

और दूसरे हाथ को पता भी नहीं लगने देना है।


सिस्टम की मजबूरियाँ तो समझिए

एक तबके की तरफ से जान लेना है,

दूसरे तबके की तरफ से अपनी जान बचाना भी है


सिस्टम की मजबूरियाँ तो समझिए

कुछ लोगों को विकास की ऊंचाईयों पर ले जाना है,

जिनके लिए बाकियों को विनाश के गर्त में भी धकेलना है।


सिस्टम की मजबूरियाँ तो समझिए

मौत के डर का तमाशा भी दिखाना है,

अकेलेपन से उपजे अवसाद की गोलियाँ भी खिलाना है।


सिस्टम की मजबूरियाँ तो समझिए

सत्ता-शक्ति-नियंत्रण भी बनाये रखना है,

और पद-प्रतिष्ठा-प्रसिद्धि भी बचाना है।


सिस्टम की मजबूरियाँ तो समझिए

कुछ तो मजबूरियाँ रही होगी उसकी

जो सिर्फ़ अपने और अपने लिए जीते जाना है 


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साभार : हिमांशु देशमुख

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