जीवनको इज्जत दें सुरक्षित रहें ...👍
जीवन को इज्जत दें , सुरक्षित रहें ………!
आज के सभी समाचार चैनेलों में एक ही समाचार प्रमुखता से छाया है वह है सलमान का 2002 का HIT AND RUN case . जिसमे सलमान को 5 वर्ष की सजा सुनाई गयी है। सलमान के सभी प्रशंसक उन के प्रति सहानुभूति रखते हुए उसे सजा न होने की दुआ कर रहे थे पर गवाहों और चश्मदीदों के बयान के आधार पर उसे सजा का अहक़दार पाया गया। इस पुरे घटना कर्म में जो विचारणीय तथ्य है वह ये कि किसी भी घटना को इस नजरिये से क्यों तौला जाता है कि घटना किस के साथ हुई या किस के द्वारा हुई। कोई भी घटना किसी के लिए दुखद और किसी के लिए सामान्य हो सकती है। कोई भी नहीं चाहता कि उसके साथ कोई भी दुर्घटना घटे लेकिन क्या हमारा फ़र्ज़ नहीं बनता की हम उन हालातों से दूर रहें जो दुर्घटना को न्योता देते हैं। यदि हम खुद से किसी गाड़ी के सामने आ जाएँ फिर उस गाड़ी वाले को कोसे। तो क्या ये न्याय होगा ?
जीवन अनेक नियमों और नीतियों से बंधा है। उसके पालन के लिए हमें किसी विशेष शिक्षा की जरूरत नहीं है। वह जीवन जीने के साथ स्वयं से समझ आता रहता है। ये हमारा फ़र्ज़ है कि हम उनकी इज्जत करें और एक सुरक्षित जीवन के हक़दार बने।
इस वाकये में एक पार्श्व गायक अभिजीत ने कुछ विवादास्प्रद बयान दे दिया कि "जो राह पर सोयेगा कुत्ते की मौत मरेगा। जीवन अनमोल है उसे सड़क पर न गवाएं। " इसी तरह का कुछ और भी , उनके तर्क है कि जब आप के पास रहने का ठिकाना नहीं, खाने का जुगाड़ नहीं और जीवन की समुचित सुविधाएँ नहीं तब भी ये बेघर लोग 8 से 10 बच्चे पैदा कर के उन्हें सड़क पर छोड़ देते हैं। ये एक भयावह सत्य है। उनके बयान को गलत माना गया पर सत्य कड़वा होता है। और यही सत्य है कि सड़क पर रहने वाले तमाम लोग यही करते हैं। परिवार को सिमित रखना और उनके लिए व्यवस्था जुटाना ही हर परिवार का फ़र्ज़ होना चाहिए जो ये सड़क पर रहने वाले लोग नहीं सोचते।
आप ये न सोचें कि इस घटना में मैं सलमान का पक्ष ले रहीं हूँ पर इस घटना के घटने के पीछे के सत्य का जो आइना है वही आप के सामने प्रस्तुत कर रही हूँ। बड़े शहरों की चमक दमक में आज भी गावों से कई परिवार अपना बोरिया बिस्तर ले कर प्रस्थान कर तो लेते है। पर वहाँ रोटी पानी का जुगाड़ हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता। ऐसे में उन्हें न तो रहने की जगह मिलती है न कुछ करने का ठिकाना। ये ही समस्या की जड़ है। सब से पहले अपने काम काज को इतना मजबूत बनाना आना चाहिए कि आप अपने परिवार को छत नसीब करवा सकें। फिर आगे के जीवन की योजना बनानी चाहिए। हालांकि सलमान के लिए ये कहा जा रहा है कि उस समय वह नशे में थे और बड़ी गाड़ी उनसे संभाली नहीं गयी। जो फूटपाथ पर चढ़ गयी और वँहा सो रहे लोगों को कुचल दिया। जिस में एक की मृत्यु हो गयी और 2 -4 घायल हो गए। ये भी गलत है और नियमों के खिलाफ भी। नशे में, वह भी बिना लाइसेंस के गाड़ी चलना कानूनी जुर्म है जिस के लिए सलमान दोषी हैं। पर जिस परिस्थिति के वह शिकार हुए उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। वैसे कानून सब के लिए सामान है इस का एक अच्छा उदाहरण ये case बन गया कि चाहे वह कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो यदि वह दोषी है तो सजा का हक़दार होगा।
आज के सभी समाचार चैनेलों में एक ही समाचार प्रमुखता से छाया है वह है सलमान का 2002 का HIT AND RUN case . जिसमे सलमान को 5 वर्ष की सजा सुनाई गयी है। सलमान के सभी प्रशंसक उन के प्रति सहानुभूति रखते हुए उसे सजा न होने की दुआ कर रहे थे पर गवाहों और चश्मदीदों के बयान के आधार पर उसे सजा का अहक़दार पाया गया। इस पुरे घटना कर्म में जो विचारणीय तथ्य है वह ये कि किसी भी घटना को इस नजरिये से क्यों तौला जाता है कि घटना किस के साथ हुई या किस के द्वारा हुई। कोई भी घटना किसी के लिए दुखद और किसी के लिए सामान्य हो सकती है। कोई भी नहीं चाहता कि उसके साथ कोई भी दुर्घटना घटे लेकिन क्या हमारा फ़र्ज़ नहीं बनता की हम उन हालातों से दूर रहें जो दुर्घटना को न्योता देते हैं। यदि हम खुद से किसी गाड़ी के सामने आ जाएँ फिर उस गाड़ी वाले को कोसे। तो क्या ये न्याय होगा ?
जीवन अनेक नियमों और नीतियों से बंधा है। उसके पालन के लिए हमें किसी विशेष शिक्षा की जरूरत नहीं है। वह जीवन जीने के साथ स्वयं से समझ आता रहता है। ये हमारा फ़र्ज़ है कि हम उनकी इज्जत करें और एक सुरक्षित जीवन के हक़दार बने।
इस वाकये में एक पार्श्व गायक अभिजीत ने कुछ विवादास्प्रद बयान दे दिया कि "जो राह पर सोयेगा कुत्ते की मौत मरेगा। जीवन अनमोल है उसे सड़क पर न गवाएं। " इसी तरह का कुछ और भी , उनके तर्क है कि जब आप के पास रहने का ठिकाना नहीं, खाने का जुगाड़ नहीं और जीवन की समुचित सुविधाएँ नहीं तब भी ये बेघर लोग 8 से 10 बच्चे पैदा कर के उन्हें सड़क पर छोड़ देते हैं। ये एक भयावह सत्य है। उनके बयान को गलत माना गया पर सत्य कड़वा होता है। और यही सत्य है कि सड़क पर रहने वाले तमाम लोग यही करते हैं। परिवार को सिमित रखना और उनके लिए व्यवस्था जुटाना ही हर परिवार का फ़र्ज़ होना चाहिए जो ये सड़क पर रहने वाले लोग नहीं सोचते।
आप ये न सोचें कि इस घटना में मैं सलमान का पक्ष ले रहीं हूँ पर इस घटना के घटने के पीछे के सत्य का जो आइना है वही आप के सामने प्रस्तुत कर रही हूँ। बड़े शहरों की चमक दमक में आज भी गावों से कई परिवार अपना बोरिया बिस्तर ले कर प्रस्थान कर तो लेते है। पर वहाँ रोटी पानी का जुगाड़ हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता। ऐसे में उन्हें न तो रहने की जगह मिलती है न कुछ करने का ठिकाना। ये ही समस्या की जड़ है। सब से पहले अपने काम काज को इतना मजबूत बनाना आना चाहिए कि आप अपने परिवार को छत नसीब करवा सकें। फिर आगे के जीवन की योजना बनानी चाहिए। हालांकि सलमान के लिए ये कहा जा रहा है कि उस समय वह नशे में थे और बड़ी गाड़ी उनसे संभाली नहीं गयी। जो फूटपाथ पर चढ़ गयी और वँहा सो रहे लोगों को कुचल दिया। जिस में एक की मृत्यु हो गयी और 2 -4 घायल हो गए। ये भी गलत है और नियमों के खिलाफ भी। नशे में, वह भी बिना लाइसेंस के गाड़ी चलना कानूनी जुर्म है जिस के लिए सलमान दोषी हैं। पर जिस परिस्थिति के वह शिकार हुए उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। वैसे कानून सब के लिए सामान है इस का एक अच्छा उदाहरण ये case बन गया कि चाहे वह कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो यदि वह दोषी है तो सजा का हक़दार होगा।
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