अबला नारी हाय तुम्हारी यही कहानी .....😣

अबला नारी हाय तुम्हारी यही कहानी ……!
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अबला नारी हाय तुम्हारी यही कहानी ,
आँचल में है दूध और आँखों में पानी।
कोख सहेजने की कला की अभिमानी  ,
फिर भी क्यों हमेशा अर्थहीन ही जानी ?
बिगड़ते हालातों से लड़ने की ठानी , 
पर खुद को न बचा पाने की कहानी। 
सब के लिए देवतुल्ये बनने की मानी  ,
खुद पशु सामान जीवन की परेशानी। 
एक दायरे में बंद जीवन की स्वामिनी,
निर्भरता का पर्याय बनने की कहानी।  
डर डर के जिंदगी जीने की हैरानी ,
खुल के स्वछंद न उड़ पाने की परेशानी। 
समाज की अनगिनत रूढ़ियाँ की तनातनी ,
मजबूरी में ही गले पड़ी लगानी। 
कौन है जिस ने असलियत मानी , 
सही मायनों में औरत की क़द्र जानी।
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