YES , WE CAN BUT LET US FREE..............!
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एक स्वर में अपने हक़ के लिए खड़े होना और अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ना सभी महिलाएं चाहती हैं। उन्हें वह सारी पाबंदियां बेमानी लगती है जो पुरुष समाज ने उन्हें अपने अधीन रखने और गुलामी करते रहने के लिए बनाई है। ये किसी एक देश या किसी एक समाज की ही व्यथा नहीं बल्कि दुनिया की हर स्त्री ये चाहती है कि उसका जीवन स्वतन्त्र हो कर गुजरे।  उसे अपने किसी भी कार्य के लिए पुरुष से इजाजत या  सहमति न लेनी पड़े। वह पुरुष चाहे किसी भी रूप में हो - पिता ,पति ,भाई या अन्य कोई भी रिश्ता। ... यहाँ तक की एक सामान्य स्त्री अपने सरकार में बैठे पुरुष पदाधिकारियों से भी सहयोग और सद्भावना की उम्मीद करती है। लेकिन हाय रे अबला नारी तुम्हारी यही कहानी आँचल में है दूध आँखों में पानी  ये मुहावरा चाहे कितना भी पुराना हो जाए पर हमेशा अस्तित्व में रहेगा। क्योंकि कही न कही कोई न कोई औरत पुरुष के हाथों  पिसती मरती और प्रताड़ित होती रहेगी। आज सऊदी अरेबिया की तमाम महिलाओं ने आवाज बुलंद कर एक नयी मुहीम को आवाज दी है। उन तमाम बंदिशों के खिलाफ जो बरसों से उनके गले की फाँस बन हुआ था।जैसे कि उन्हें गाड़ी चलने की इजाजत नहीं है , उन्हें एक गार्जियन के अधीन रहना होगा चाहे वह पति हो पिता हो बेटा हो या भाई। उन्हें यात्रा ,कोई काम ,तलाक खाता खोलने , पासपोर्ट बनवाने ,विदेश में पढ़ने , किसी भी तरह का इलाज करवाने   कार्यों के लिए पुरुषों की रजामंदी लेनी पड़ती है। इस पूरी मुहीम को सभी और फ़ैलाने के लिए इन महिलाओं ने एक विडिओ बना कर सोशल मीडिया पर डाल दिया जिसमें स्त्री की सभी बदतर स्थितियों को खुल कर दर्शाया गया।  जैसे की एक महिला को पुरुष ने मारा, वह पुलिस थाने में जब रिपोर्ट लिखवाने गयी तो उसे पुलिस के लोग ये कह कर लौटा देते हैं कि उसका गार्जियन उसका पति है पहले रिपोर्ट लिखवाने की रजामंदी ले कर आओ तब सहयोग मिलेगा।इस के बाद उसी का पति उसे दोबारा मारते हुए और घसीटते हुए वापस घर ले जाता है। पति को हँसते हुए दिखाया जाता है। दूसरे एक वेडिओ में एक कार्डियक सर्जन महिला को एक कॉन्फ्रेंस में अपनी रिपोर्ट पढ़ने के लिए अपने बेटे की रजामंदी लेनी पड़ती है जिसमें बेटा उसे जाने से मन कर देता है। इसी तरह के तमाम विडिओ के जरिये उन महिलाओं ने मेल गार्जियनशिप से आजादी मांगी  हैं। और खुद स्वतंत्र होकर निर्णय लेने के लिए खुलापन चाहा है। 
                      आज सभी देशों में ये समस्या मौजूद है और इसे हम महिलाओं का एकजूट प्रयास  ही खत्म कर सकता है। इस लिए ये जताना होगा की इस मुहीम में हम सऊदी अरेबिया की महिलाओं के साथ है। तभी एक बड़े बदलाव की उम्मीद की जा सकेगी।  

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