कुछ नया और अच्छा सा ..... 
                                              पढ़ कर ये अहसास तो हो गया होगा कि आज किसी सकारात्मक विषय पर चर्चा होने वाली है ।  सही समझे आप , चलिए  इस अच्छे से मुद्दे को विस्तार में समझें। साथ ही इस की महत्ता का आंकलन करें। चीन ने अपने विद्यार्थियों के लिए एक नयी प्रथा शुरू की है। सामान्यतः कभी कभी कोई विद्यार्थी कड़ी मेहनत के बाद भी कुछ अंकों से किसी एक विषय में अनुतीर्ण होने लगता है ,जिससे उसका हौसला और जुझारूपन दोनों प्रभावित होते हैं।साथ ही परीक्षा में सफल न हो पाने से उसका भविष्य भी प्रभावित होने लगता है। ऐसे में जो उपाय तलाशा गया वो ये है कि सभी कॉलेज अपने स्तर पर एक ग्रेड बैंक बनायेंगे। यह बैंक अपने पास अंकों का एक निश्चित भंडार संगृहीत करेगा। इस अंक भंडार से कोई भी विद्यार्थी उतने अंक उधार ले सकता है जितने कि उसे पास होने के लिए चाहिए।  उधार उसे इस शर्त पर दिया जाता है कि अगली परीक्षा में यदि वह अपने लिए 50 नम्बर की अपेक्षा कर रहा हो तो उसे उन अंकों के अलावा वह अंक भी लाने होंगे जो उसने उधार लिए हैं।  अर्थात यदि उसने 5 अंक उधार लिए तो उसे अपनी अगली परीक्षा में 55 अंक लाने होंगे।  जिसमें 50 वह खुद रखेगा और 5 अंक वह बैंक को वापस लौटाएगा। इस तरह वह अपनी परीक्षा उतीर्ण कर लेता है। साथ ही बैंक का क़र्ज़ भी चुक जाता है।  इस चलन का जो सबसे बड़ा फायदा नजर आता है वह ये है कि एक तो विद्यार्थी नाममात्र के अंकों की कमी की वजह से अपना भविष्य नहीं खोता। दूसरा अगली परीक्षा में उसे और ज्यादा परिश्रम करने की आवश्यकता को बल मिलता है। जिससे वह अपना क़र्ज़ चुका सके। यह एक काबिले तारीफ परंपरा शुरू की गयी है। जो विद्यार्थियों के लिए जीवन दान की तरह है। इस बैंक के कुछ नियम होते हैं।  पहले ये कि एक तो अंकों की एक निर्धारित मात्रा तक ही मदद मिलेगी। दूसरा अगली परीक्षा में वह अंक लौटाने होंगे। तीसरा नहीं लौटाने पर ,एक या दो परीक्षा गुजरने के बाद वह अंक प्राप्त कुल अंकों में से काटे भी जा सकते हैं। चौथा यदि फिर भी नहीं लौटाया जाता तो ब्लैक लिस्टेड विद्यार्थी माने जायेंगे और आगे की परीक्षाओं में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी।  इस तरह के कुछ नियमों के साथ ये बैंक सफलता पूर्वक विद्यार्थियों की मदद कर रहा है। बेहतरी किसी भी रूप में हो जीवन के लिए आवश्यक होती है।उसे आज़मा कर भविष्य की ओर चलना ही आगे बढ़ना कहलाता है। 

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